सोमवार, 26 अगस्त 2019
दामोदर गणेश बापट जी को कुष्ठ रोगियों के निस्वार्थ, सेवा भाव और समर्पण को देखते हुए भारत सरकार ने 2018 में पद्मश्री से सम्मानित किया
रविवार, 25 अगस्त 2019
आज शिक्षा मनी मेकिंग मशीन बन गई - नरेन्द्र मोदी
शनिवार, 24 अगस्त 2019
अजित जोगी द्वारा बहुचर्चित विधायक खरीद-फरोख्त कांड का खुलासा तत्कालीन पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री अस्र्ण जेटली ने की थी
बुधवार, 21 अगस्त 2019
गुजरात दंगे में हिन्दु राष्ट्र का चेहरा साबित कर -
अब इस चेहरे का उपयोग दलित मुस्लिम एकता के रूप में दोगली मीडिया कर रही है। एक निर्दोष आदमी को खूंखार आतंकी साबित करो फिर उसको दलित फिर मुसलमानों के साथ दिखो।
शनिवार, 17 अगस्त 2019
छोटा परिवार रखा कर भी देशभक्ति प्रगट कर सकते है – नरेन्द्र मोदी
मंगलवार, 13 अगस्त 2019
पाकिस्तान को धारा 370 पर नहीं मिला सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्यों का समर्थन
जब से भारत की संसद ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली अस्थाई धारा 370 को समाप्त किया गया, तब से पाकिस्तान की बौखला गया है और पाकिस्तान भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर घेरने की हर संभव कोशिश कर रहा है। लेकिन अब मुक्की खानी पड़ी नहीं है। पाकिस्तान का विश्वास था कि कश्मीरी लोग बकरीद के मौके पर भारत का विरोध करेंगे। भारत के खिलाफ कश्मीर में हिंसा होगी लेकिन यहां पर भी कश्मीरियों ने अमन के साथ शांतिपूर्वक ईद मनाकर इमरान खान को करारा चांटा मारा है। फिर से पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी और कश्मीर के बिषय पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और घरेलू मोर्चे पर भी पाकिस्तान की विपक्ष पार्टी उनके संसद में इमरान खान का मजाक उड़ाया जा रहा है। अब पाकिस्तान को समझ में आ गया है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने सही फैसला बिल्कुल सही समय पर लिया है। तभी तो पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी अप्रत्यक्ष रूप से इस बात को स्वीकार कर ली है कि सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्य हैं और इसमें से कोई भी इस मामले पर (धारा 370) हमारे साथ नहीं है।
गुरुवार, 8 अगस्त 2019
9 अगस्त विश्व मूलनिवासी दिवस बोले तो World Indigenous Peoples Day
विश्व आदिवासी नाम बताकर देश को फिर बांटने का षड्यंत्र किया जा रहा है, 9 अगस्त को UNO द्वारा world indigenous day मनाया जा रहा है। Indigenous का मतलब होता है मूलनिवासी, परन्तु भारत में ईसाई मिशनरी तथा वामपंथियों के विचारकों द्वारा भारत में विश्व आदिवासी दिवस स्थापित करने की कोशिश किया जा रहा है। इसमें आदिवासी को बरगलाया जाता है कि आदिवासी ही भारत का मूलनिवासी है। इस संबध में 1994 में भारत सरकार ने UNO को स्पष्ट किया था कि भारत में रहने वाले जन सभी भारतवासी ही मूलनिवासी है।
जैसा कि हम जानते हैं कि पुर्तगाल, फ्रांस, इंग्लैंड अमेरिका में जाने के बाद वहां के जो मूलनिवासी रेड इंडियन थे, इन्हें बहुत ही संख्या में उनकी हत्या की तथा उन्हें दास (गुलाम) बनाया गया, उनका व्यापर किया गया। ऐसे ही साउथ अफ्रीका में जाकर वहां के नीग्रो लोगों की हत्या की और उन्हें गुलाम बनाकर यूरोप के देशों में बेचा। ऐसे ही आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी किया गया। वहां के जो मूल निवासी है, उनकी हत्याएं कि उन्हें गुलाम बनाया उन्हें जबरदस्ती खेतों में काम कराएं। इस तरह वह सारे महाद्वीपों के प्रमुख देशों में उपनिवेश बनाएं। इसी तरह भारत भी इंग्लैंड, पुर्तगाल और फ्रांसीसी का उपनिवेश देश रहा है । जैसा कि हम जानते हैं भारत भी इन देशों का उपनिवेश देश रहा है। भारत में भी इसी प्रकार से हत्याकांड किया गया था। इतिहास में इन बदनामी को छुपाने के लिए इसे कहा गया कि Civilization किया गया। यह जो लोग थे असभ्य थे इन्हें सभ्य बनाने के लिए कृत्य था। आज सभ्यता का चोला ओढ़े लोगों को वे रेड इन्डियन फिर से देखने लगे जिन्हें सभ्यता सिखाने के लिए निर्ममतापूर्वक हत्या किया गया। दुनिया भर के देशों के ईसाईसभ्यता के अत्याचारों से बचे मूल निवासियों के मानवाधिकारों के संरक्षण का हवाला देते हुए, जिसकी पहली बैठक 9 अगस्त 1982 को हुई थी। इसी 9 अगस्त 1994 को जेनेवा में विश्व का पहला अन्तर्राष्ट्रीय मूलनिवासी दिवस आयोजित किया गया था। जिसके बाद से हर साल 9 अगस्त को विश्व मूलनिवासी दिवस के आयोजन की शुरूआत हुई। UNO ने बचे हुए रेड इन्डियन जैसे मूलनिवासियों के संस्कृति, भाषा, उनके मूलभूत हक अधिकारों के संरक्षण के लिए यह पहल हुई। लेकिन इनकी यह कोशिश भारत सरकार ने भारत में असफल कर दी।
15 अगस्त 1947 भारत आजाद हो गया। आजादी के बाद देश चलने के लिए संविधान बनाया गया। भारत के संविधान में सभी निवासियों को मूलनिवासी माना गया तथा सभी को संविधान द्वारा मौलिक अधिकार प्राप्त है। यहाँ तक की ईसाई जो अंग्रेजों का साथ दिए थे उन्हें भी भारत का नागरिक मन गया। इसी आधार 1994 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार UNO में स्पष्ट किया कि भारत में रहने वाले सभी निवासी ही मूल निवासी ही है, अर्थात सभी भारतवासी ही मूलनिवासी है। भारत में जनजाति समाज को सभी तरह के संवैधानिक अधिकार संविधान द्वारा आजादी के तुरंत बने संविधान से प्राप्त हैं। दुनिया को भारत से सीखने की आवश्यकता है कि यहां पर जनजाति को समाज का महत्वपूर्ण अंग माना है। ऐसे में यहां मूलनिवासी दिवस मनाने का कोई औचित्य नहीं है। मूलनिवासी दिवस मनाने वाले को पहले भारत के संविधान में जनजाति समाज को मिले संवैधानिक अधिकारों का अध्ययन करना चाहिए।
आदिवासी दिवस के आयोजकों के रूप में पीछे
से वामपंथी और ईसाई मिशनरियों का बड़ा हाथ है। जनजातीय समुदाय को बड़े पैमाने पर कई राज्यों में
आदिवासियों का धर्मांतरण करने में लिप्त हैं। आदिवासियों
को हिंदू से अलग धर्मकोड देने की लगातार मांग करते आ रहे हैं। ऐसे लोग आदिवासियों को अलग पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि जनजाति हिंदू समाज के एक अंग है, जो हिंदुओं के खिलाफ एक गहरी साजिश
है जिसे मूलनिवासी आदिवासी करने की कोशिश की जा रही है। सभी पंथ, सम्प्रदाय, धर्म एव
संस्कृति और परम्पराओ को संरक्षण करने का अधिकार प्राप्त
है। लेकिन वर्षो से वनों में रहने वाले वनवासियों ( जनजाति ) के संरक्षण लिए विशेष प्रावधान
किये गए।