सोमवार, 26 अगस्त 2019

दामोदर गणेश बापट जी को कुष्ठ रोगियों के निस्वार्थ, सेवा भाव और समर्पण को देखते हुए भारत सरकार ने 2018 में पद्मश्री से सम्मानित किया


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक पूज्य डॉ केशव बलिराम हेडगेवार जी एक रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। उस स्टेशन पर स्टेशन मास्टर के रूप में गणेश विनायक बापट नाम का नवयुवक था। उसने डॉक्टर हेडगेवार को पहचान गया और कहा कि आप ही नागपुर के डॉ हेडगेवार है। उन्होंने कहा मैं गणेश विनायक बापट हूं। आप ने मुझे पैसा देकर आर्थिक सहयोग किया था। आज मैं इस रेलवे स्टेशन पर नौकरी कर रहा हूँ। यह नौकरी आप के उस सहयोग से मुझे मिल गई है, आज मेरे दांपत्य जीवन का पहला दिन है। आप मेरे साथ मेरे घर चलिए और मेरा आतिथ्य स्वीकार करिए। 
डॉ हेडगेवारजी के आतिथ्य स्वीकार की है और उनके निवास स्थान पहुँचे। उनकी पत्नी श्रीमती लक्ष्मीबाई गणेश बापट ने भोजन बनाई और वह भोजन डॉक्टर हेडगेवार ने प्रसन्नता पूर्वक ग्रहण किया। इन्ही दांपत्य से तीसरी संतान 29 अप्रैल 1935 जन्म लिया, जिसका नाम- श्री दामोदर गणेश बापट था, जिन्होंने अपना जीवन संघ के प्रचारक के रूप में समर्पित कर दिया। 52 वर्षों तक समाज के साथ चांपा कुष्ठ आश्रम में रहकर कुष्ठ रोग से ग्रसित रोगी की, उन्होंने निस्वार्थ भाव से सेवा किया। 18 अगस्त 2002 महामानव ने अपना देह मेडिकल कॉलेज बिलासपुर के छात्रों लिए छोड़ कर चले गए।

श्री दामोदर गणेश बापट मूल रूप से ग्राम पथरोट, जिला अमरावती, महाराष्ट्र के निवासी थे बचपन से ही उनके मन में सेवा की भावना कूट-कूटकर भरी थी। यही वजह है कि वे करीब 9 वर्ष की आयु से आरएसएस के स्वयसेवक व कार्यकर्ता बन गए। दामोदर बापट ने नागपुर से बीए और बीकॉम की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद बापट ने पहले कई स्थानों में नौकरी की, लेकिन उनका मन नहीं लगा। उन्हें पता चला की बाला साहेब देशपांडे जशपुर में वनवासियों के लिए उत्थान के लिए कार्य करते है, वे छत्तीसगढ़ के वनवासी कल्याण आश्रम जशपुरनगर पहुंचे और कल्याण आश्रम के कार्यकर्त्ता के रूप में बच्चों को पढ़ाने लगे। नागपुर जाते समय उन्हें पता चला की चाम्पा के पास कुष्ठ रोगियों का आश्रम है, वे देखने के लिए चले गए   

छत्तीसगढ़ के चांपा रेल्वे स्टेशन से आठ किलोमीटर दूर ग्राम सोठी में भारतीय कुष्ठ निवारक संघ द्वारा संचालित आश्रम में कुष्ठ रोगियों के लिए सेवाकार्य चलता है। भारतीय  कुष्ठ आश्रम की शुरुआत 1962 में कुष्ठ पीड़ित पूज्य सदाशिवराव गोविंदराव कात्रे ने की थी। 1972 में यहां वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ता गणेश बापट पहुंचे और कात्रे जी के साथ मिलकर उन्होंने कुष्ठ पीड़ितों के इलाज और उनके सामाजिक आर्थिक पुनर्वास के लिए सेवा के साथ कई कार्यक्रमों की शुरुआत भी की। कुष्ठ रोग के प्रति लोगो को जागृत करने के अलावा कुष्ठ रोगियों की सेवा करने का कार्य प्रमुख रूप से दामोदर बापट ने किया है। 

दामोदर बापट जी के कुष्ठ रोगियों के निस्वार्थ सेवा भाव और समर्पण को देखते हुए भारत सरकार ने 2018 में पद्मश्री से सम्मानित किया है। भारत के राष्ट्रपति महामहिम कोविंद ने पद्मश्री से राष्ट्रपति भवन में सम्मानित किया


रविवार, 25 अगस्त 2019

आज शिक्षा मनी मेकिंग मशीन बन गई - नरेन्द्र मोदी


नरेंन्द्र मोदी आज पुणे के फर्ग्युसन कालेज में छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने कहा, हमारी शिक्षा मेन मेकिंग थी लेकिन उसे मनी मेकिंग बना दिया गया है। मोदी ने कहा कि कुछ लोग पावर चाहते हैं जबकि मैं इम्पावरमेंट चाहता हूं। नरेंन्द्र मोदी ने केन्द्र सरकार के खिलाफ कि कहा, लेकिन उसकी नीतियों की आलोचना कहा कि यह भारत का दुर्भाग्य है कि एक भी पड़ोसी उसका दोस्त नहीं है।

सरकार की शिक्षा नीति पर मोदी ने कहा कि ऐसी शिक्षा व्यवस्था बनाने की कोशिश नहीं की जा रही है, जो युवाओं की ताकत का इस्तेमाल कर सके। ओलिंपिक गेम्स के बाद हम हर बार निराश होते हैं कि सवा अरब लोगों का देश चंद गोल्ड मेडल नहीं ला सकता, लेकिन शिक्षा को खेलों से जोड़ने की कोई कोशिश नहीं हो रही। मोदी ने कहा, अगर सैनिकों को अच्छे से टैनिंग दी जाए तो पांच सात मेडल तो वे ही जी लाएं।

नरेंन्द्र मोदी ने कहा कि देश में निराशा का माहौल है, देश का युवा कुछ करना चाहता है, लेकिन उन्हें मार्गदर्शन नहीं मिल रहा है। मोदी ने कहा,कि युवा न सिर्फ भारत को बल्कि पूरी दुनिया को निराशा के माहौल से बाहर निकालेंगे। भारत में गजब की ताकत है। यह देश 1,200 साल की गुलामी के बाद भी जिंदा है। सीना तानकर खड़ा है। विश्वविद्यालयी शिक्षा के 2,600 साल के इतिहास में भारत 1,800 साल तक दुनिया का सरताज रहा। सिर्फ गुलामी के 800 सालों में इसका नाश हुआ। पूरी दुनिया से लोग यहां पढ़ने आते थे।

अपने भाषण की शुरुआत में मोदी ने कहा कि इस जगह से पुणे से महान नेताओं को संदेश मिला है। उन्होंने कहा, श्यह सावरकर की धरती है, तिलक की धरती है। फर्ग्युसन कालेज में लेक्चर देने की तिथि तय हुई तो मैंने एक प्रयोग किया। मैंने सोशल मीडिया पर नौजवानों से पूछा कि मुझे फर्ग्युसन कालेज में क्या कहना चाहिए। करीब 2,500 नौजवानों ने मुझे सलाह दी। मैं बस उन्हीं की सलाह को आपको सामने रख रहा हूं। मैं सिर्फ माध्यम हूं, ये विचार कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के 2,500 नौजवानों के हैं।

उन्होंने कहा कि जो लोग यह सोचते हैं कि नौजवान सिर्फ जीन्स पहनते हैं और बाल बढ़ाते हैं, वे भ्रम में हैं। नौजवान सोचते हैं। देश के बारे में सोचते हैं। कुछ करना चाहते हैं। उनमें उमंग है। सामर्थ्य है। यह सब देख कर लगता है कि देश का भविष्य कभी भी अंधकारमय नहीं हो सकता है। मोदी ने वहां मौजूद 5,000 छात्रों से कहा कि विश्व की समस्याओं के समाधान के लिए भी यह युवा शक्ति काम आ सकती है, बस कोई काम करवाने वाला शख्स चाहिए। पूरे देश में निराशा का भाव है लेकिन मैं निराशा की बात नहीं करता। मुझे उम्मीदें दिखती हैं। नौजवानों का उमंग देखकर मैं उत्साहित हूं। मैं व्यवस्था बदलने में विश्वास रखता हूं।

भारत में पहले गुरुकुल शिक्षा की व्यवस्था थी। मोदी ने कहा कि हमारी गुरुकुल की शिक्षा परंपरा और अमेरिका की आधुनिक शिक्षा पद्धति की तुलना की जाए तो हमें पता चलेगा कि दोनों कुछ हद तक समान हैं। दोनों में लोगों को दिशा देने का काम होता है। हमें उस गुरुकुल व्यवस्था को आधुनिक पश्चिमी शिक्षा व्यवस्था से तुलना करने की जरूरत है। हमें गुरुकुल से विश्वकुल तक का सफर पूरा करना है। हमने उपनिषद से उपग्रह की यात्रा की है। दुनिया में पहला दीक्षांत समारोह भारत में हुआ था। तैतरीय उपनिषद में इसका विवरण मिलता है।

नरेंन्द्र मोदी ने कहा कि देश में निराशा का माहौल है, देश का युवा कुछ करना चाहता है, लेकिन उन्हें मार्गदर्शन नहीं मिल रहा है। मोदी ने कहा,कि युवा न सिर्फ भारत को बल्कि पूरी दुनिया को निराशा के माहौल से बाहर निकालेंगे। भारत में गजब की ताकत है। यह देश 1,200 साल की गुलामी के बाद भी जिंदा है। सीना तानकर खड़ा है। विश्वविद्यालयी शिक्षा के 2,600 साल के इतिहास में भारत 1,800 साल तक दुनिया का सरताज रहा। सिर्फ गुलामी के 800 सालों में इसका नाश हुआ। पूरी दुनिया से लोग यहां पढ़ने आते थे।



शनिवार, 24 अगस्त 2019

अजित जोगी द्वारा बहुचर्चित विधायक खरीद-फरोख्त कांड का खुलासा तत्कालीन पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री अस्र्ण जेटली ने की थी



बात 2003 छत्तीसगढ़ के अजित जोगी द्वारा बहुचर्चित विधायक खरीद-फरोख्त कांड का खुलासा तत्कालीन पूर्व केंद्रीय कानून राज्य मंत्री अस्र्ण जेटली ने ही किया था। रात 9 बजे भाजपा कार्यालय एकात्म परिसर से प्रेसवार्ता कर एक ऑडियो टेप के साथ पत्रकारों को अजीत जोगी के द्वारा 45 लाख में विधायक खरीद-फरोख्त कांड का खुलासा किया था। देर रात को सोनिया गाँधी सो चुकी थी, उन्हें जगाकर सुचना दी गई और रात में ही अजीत जोगी को कांग्रेस पार्टी से निष्कासित किया गया था। इस घटना ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में हलचल पैदा कर दी थी। देशभर में यह खबर सुर्खियों में रही थी। क्योकि केंद्र में भाजपा के अटलबिहारी वाजपेयी की एनडीए की सरकार थी और छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी ने भाजपा के विधायकों को तोड़कर तीन साल अपनी सरकार चलाई और 2003 के चुनाव में अपनी हार के बाद बहुमत वाली सरकार बनने से रोकना और कांग्रेस की समर्थित सरकार बनना था।

सन 2000 में मध्यप्रदेश से अलग छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ था, लेकिन बहुमत कांग्रेस के तरफ था और विधानसभा का कार्यकाल तीन वर्ष शेष था। अत कांग्रेस ने अजीत जोगी को अपना मुख्यमंत्री चुना 2000 में जो की उस समय विधानसभा के सदस्य नहीं थे। भाजपा के विधायक राम दयाल उइके से स्तीफा दिलवाया, उपचुनाव में मरवाही विधानसभा से अजीत जोगी विधायक चुने गए थे।

4 दिसम्बर 2003 में छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को करारी हार मिली थी। दुसरे दिन भाजपा को 90/50 जीत कर बहुमत से सरकार बनने के लिए विधायकों बैठक पिकाडली होटल में होने वाले पार्टी के नेता वैकेयानायडु लेने वाले थे। उसी समय तत्कालीन मुख्यमंत्री जोगी ने  भाजपा नेता बलिराम कश्यप को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव देकर भाजपा विधायकों को तोड़ने का आरोप लगा था। उस समय भाजपा नेता वीरेंद्र पांडेय (भाजपा के प्रदेश महामंत्री थे) से भाजपा सांसद रहे पीआर खुंटे ने विधायकों को तोड़ने के लिए संपर्क किया था। वीरेंद्र पांडेय ने यह बात सार्वजनिक कर हलचल मचा दी थी कि जोगी ने बातचीत की और खरीद-फरोख्त के लिए करीब 45 लाख रुपये का लेनदेन किया।
अरुण जेतली का जन्म दिल्ली में महाराज किशन जेटली और रतन प्रभा जेटली के घर में हुआ। उनके पिता एक वकील हैंउन्होंने अपनी विद्यालयी शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल, नई दिल्ली से 1957-69 में पूर्ण की। उन्होंने अपनी 1973 में श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, नई दिल्ली से कॉमर्स में स्नातक की। उन्होंने 1977 में दिल्ली विश्‍वविद्यालय के विधि संकाय से विधि की डिग्री प्राप्त की। छात्र के रूप में अपने कैरियर के दौरान, उन्होंने अकादमिक और पाठ्यक्रम के अतिरिक्त गतिविधियों दोनों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के विभिन्न सम्मानों को प्राप्त किया हैं। वो 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संगठन के अध्यक्ष भी रहे।

अरुण जेटली ने 24 मई 1982 को संगीता जेटली से विवाह किया। उनके दो बच्चे, पुत्र रोहन और पुत्री सोनाली हैं।


बुधवार, 21 अगस्त 2019

गुजरात दंगे में हिन्दु राष्ट्र का चेहरा साबित कर -





गुजरात 2002 में गोधरा कांड घटना के बाद अहमदाबाद में मचे दंगे के बीच पर मुंबई मिरर के फोटो ग्राफर Sebastian D'Souza ने एक दाड़ी वाले तथा केसरिया पटा बधे साधारण नवयुवक का जबरजस्ती फोटो खींचकर हिन्दुराष्ट्र का चेहरा बनाया। इस युवक का नाम अशोक मोची ( परमार ) दलित समाज से आता है। लेकिन दूसरे दिन अपना फोटो सभी अख़बार में देखा, तो उसके होश उड़ गए। पूरी दुनिया के समाचार पत्रों के पन्नों पर बीबीसी, गार्नियर जैसे अखबारों में छपा और आज भी छप रहे है। डिसूजा ने इस फोटो से नाम और पैसा कमाए लेकिन अशोक परमार दलित (जो की दलित समुदाय से आता है) आज भी इस घटना का दंश झेल रहा है।  


27 फरवरी 2002 की सुबह जैसे ही साबरमती एक्सप्रेस गोधरा रेलवे स्टेशन के पास पहुंची उसके एक S-6 कोच में गोधरा स्टेशन के पास रहने वाले बिशेष सामुदाय के भीड़ ने पेट्रोल डाल कर आग लगा दिए जिसमे ज्यादातर वो कारसेवक थे, जो राम मंदिर आंदोलन के तहत अयोध्या में एक कार्यक्रम से लौट रहे थे साबरमती ट्रेन के S-6  कोच में मौजूद 59 कारसेवकों यात्री आग से झुलसकर मौत हो गई साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में आग को साजिश माना, ट्रेन में भीड़ द्वारा पेट्रोल डालकर आग लगाने की बात गोधरा कांड की जांच कर रहे नानवती आयोग ने भी मानी

अशोक परमार अपने घर वापस जा रहा था कि वहा पर दंगा शुरू हो चूका था। उसे अपनी जान बचाने के लिए दंगो में बचने के लिए भगवा रंग का पटा सिर पर बंध लिया, इसे देख कर दंगाईयों से बच गया। लेकिन मुंबई मिरर के फोटो ग्राफर पत्रकार ने दंगाईयों के साथ में फंस दिया गया। इसे मालूम ही नहीं था कि फोटोग्राफर डिसूजा ( मुंबई मिरर) इसको गुजरात दंगे का खलनायक साबित कर फॅस देगा। डिसूजा ने उसे (अशोक परमार) कहा था कि ऐसा करो कि आप एक खतरनाक दिखो, उसने पास में लोहे का रॉड लेकर एक एक्शन में अपनी फोटो खिंचवाकर अपराधी बन गए और दंगाइयों के बीच में फॅस गया। जबकि अशोक परमार सीधा साधा अपने शादी के लिए पैसे के तंगी से परेशान था। लेकिन इस फोटो के कारण आज तक शादी नहीं कर पाया और दंगाई बन गया । एक फोटोग्राफर ने साधारण निर्दोष आदमी को हिंदुओं का खतरनाक चेहरा साबित करता रहा। मुंबई मिरर के फोटो ग्राफर  Sebastian D'Souza  ने एक दाड़ी वाले तथा केसरिया पटा बधे साधारण नवयुवक का जबरजस्ती  फोटो खींचकर हिन्दुराष्ट्र का चेहरा बनाया। दूसरे दिन अपना फोटो सभी अख़बार में देखा, तो उसके होश उड़ गए।



















अब इस चेहरे का उपयोग दलित मुस्लिम एकता के रूप में दोगली मीडिया कर रही है। एक निर्दोष आदमी को खूंखार आतंकी साबित करो फिर उसको दलित फिर मुसलमानों के साथ दिखो।

शनिवार, 17 अगस्त 2019

छोटा परिवार रखा कर भी देशभक्ति प्रगट कर सकते है – नरेन्द्र मोदी



भारत की स्वतंत्रता 15 अगस्त 1947 को मिली थी। इस अवसर पर प्रत्येक वर्ष भारत के प्रधानमंत्री लाल किले के प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते आये है। इसी क्रम में 6वी बार प्रधानमंत्री मोदी ने अपने विचार तथा अपने सरकार की उपलब्धियाँ ही नहीं गिनाते, बल्कि उनके भाषण में सारे मंत्रालयों के लिए अगले साल की प्राथमिकताएँ भी शामिल होती हैं। उनके भाषणों से सार्वजनिक अभियानों ने सफलता पाई हैं। इनमें बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’, ‘स्वच्छता अभियान’, ‘सिलिंडर सब्सिडी छोड़ोजैसे अभियान शामिल हैं। क्योकि मोदी एक जननेता है, जनता में आने वाले समस्या की तरफ इंगित भी करते है। देश की जनता मानती भी, लेकिन इस बार के भाषण में प्लास्टिक से लेकर जल संरक्षण और जनसंख्या नियंत्रण जैसे मुद्दे शामिल रहे। इसके बाद चर्चा का बिषय बन गया देश की बढती जनसंख्या को नियंत्रित करना मतलब छोटा परिवार .. 

भारत की जनसंख्या वृद्धि बहुत लंबे समय से सरकार के लिए एक चिंता का कारण रही है। प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्रता के पश्चात वर्ष 1949 में भारत में पारिवारिक नियोजन कार्यक्रम का गठन किया गया था। वर्ष 1952 में भारत सरकार ने पूरे देश में अन्य विकासशील देशों की तरह, भारत में पहला परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू किया गया था। शुरू में इसमें जन्म नियंत्रण कार्यक्रमों को शामिल किया जाता है और बाद में इसके विभाग माँ और बाल स्वास्थ्य, पोषण और परिवार कल्याण के अंतर्गत आते हैं। वर्ष 1966 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने परिवार नियोजन का एक अलग विभाग बनाया था। 1970 के दशक में संजय गाँधी ने जनसंख्या को नियंत्रण करने के लिए नसबंदी अभियान चलाया था यह अभियान चला होता तो देश की आबादी नियंत्रित हो गई होती लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद तत्कालीन सत्ताधारी जनता सरकार ने वर्ष 1977 में एक नई जनसंख्या नीति का गठन किया था। सरकार ने कहा कि इस नीति को मजबूरी से नहीं बल्कि स्वेच्छा से स्वीकार करना चाहिए। इस सरकार ने परिवार नियोजन विभाग का नाम बदलकर परिवार कल्याण कार्यक्रम रख दिया था। वर्ष 1991 में सरकार ने केरल के मुख्यमंत्री श्री करुणाकरण की अध्यक्षता में जनसंख्या के बारे में एक समिति की नियुक्ति की। वर्ष 1993 में इस समिति ने राष्ट्रीय विकास परिषदको अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें एक राष्ट्रीय जनसंख्या नीति बनाए जाने की सिफारिश की गई। 1993 में ही सरकार ने राष्ट्रीय जनसंख्या नीति निर्धारित करने के लिए डॉ. स्वामीनाथन की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ दल का गठन किया। मई 1994 में जनसंख्या नीति का मसौदा प्राप्त हुआ जिसे संसद में पेश किया गया। वर्ष 1994 से 2000 तक केंद्र की अस्थिर नीतियों की वजह से जनसंख्या नीति का यह मसौदा निष्क्रिय पड़ा रहा।


सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्वनी उपाध्याय ने जनसंख्या वृद्धि को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पी आई एल दायर किये वे अक्सर कहते है कि हमारे देश में 124 करोड़ लोगों के पास आधार है, लगभग 20% अर्थात 25 करोड़ लोग बिना आधार के हैं तथा लगभग 5 करोड़ बंगलादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिये अवैध रूप से भारत में रहते हैं। अर्थात हमारे देश की कुल जनसँख्या सवा सौ करोड़ नहीं बल्कि डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा है और हम चीन से बहुत आगे निकल चुके हैं। उपाध्याय ने कहा कि भारत की 50% समस्याओं का मूल कारण जनसँख्या विस्फोट है। जल जंगल और जमीन की समस्या, रोटी कपड़ा और मकान की समस्या, गरीबी और बेरोजगारी की समस्या, भुखमरी और कुपोषण की समस्या तथा वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण की समस्या का मूल कारण जनसँख्या विस्फोट है। टेम्पो, बस और रेल में भीड़, थाना, तहसील और जेल में भीड़ तथा हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भीड़ का मूल कारण जनसँख्या विस्फोट है। चोरी डकैती और झपटमारी, घरेलू हिंसा और महिलाओं पर अत्याचार तथा अलगाववाद, कट्टरवाद और पत्थरबाजी का मूल कारण भी जनसँख्या विस्फोट है। उन्होंने कहा कि भारत की कृषि योग्य भूमि दुनिया की मात्र 2% है, पीने योग्य पानी मात्र 4% है और जनसँख्या दुनिया की 20% है! यदि चीन से तुलना करें तो भारत का क्षेत्रफल चीन का लगभग एक तिहाई है और जनसँख्या वृद्धि की दर चीन की तीन गुना है। चीन में प्रति मिनट 11 बच्चे पैदा होते हैं और भारत में प्रति मिनट 33 बच्चे पैदा होते हैं। अंतराष्ट्रीय रैंकिंग में भारत की दयनीय स्थिति का मुख्य कारण भी जनसँख्या विस्फोट है और उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ही अटल सरकार द्वारा बनाये गए संविधान समीक्षा आयोग (जस्टिस वेंकटचलैया आयोग) ने 2002 में संविधान में आर्टिकल 47A । जोड़ने और एक प्रभावी जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था। जिसे आज तक लागू नहीं किया गया। उपाध्याय ने कहा कि अबतक 123 बार संविधान संशोधन हो चुका है। 2 बार सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी बदला जा चुका है। सैकड़ों नए कानून बनाये। गए लेकिन देश के लिए सबसे ज्यादा जरुरी जनसँख्या नियंत्रण कानून आज तक नहीं बनाया गया, जबकि इससे देश की 50þ समस्याओं का समाधान हो जाएगा।


मंगलवार, 13 अगस्त 2019

पाकिस्तान को धारा 370 पर नहीं मिला सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्यों का समर्थन



जब से भारत की संसद ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली अस्थाई धारा 370  को समाप्त किया गया, तब से पाकिस्तान की बौखला गया है और पाकिस्तान भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर घेरने की हर संभव कोशिश कर रहा है। लेकिन अब मुक्की खानी पड़ी  नहीं  है। पाकिस्तान का विश्वास था कि कश्मीरी लोग बकरीद के मौके पर भारत का विरोध करेंगे भारत के खिलाफ कश्मीर में हिंसा होगी लेकिन यहां पर भी  कश्मीरियों ने अमन के साथ शांतिपूर्वक ईद मनाकर इमरान खान को करारा चांटा मारा है। फिर से पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी और कश्मीर के बिषय पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और घरेलू मोर्चे पर भी पाकिस्तान की विपक्ष पार्टी उनके संसद में इमरान खान का मजाक उड़ाया जा रहा है। अब पाकिस्तान को समझ में आ गया है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने सही फैसला बिल्कुल सही समय पर लिया है। तभी तो पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी अप्रत्यक्ष रूप से इस बात को स्वीकार कर ली है कि सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं और इसमें से कोई भी इस मामले पर (धारा 370) हमारे साथ नहीं है।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने पाक अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद में एक बयान में कहा कि संयुक्त राष्ट्र में कोई हार (माला) लेकर नहीं खड़ा है, हमें इसके लिए खासा संघर्ष करना पड़ेगा। ईद के अवसर पर कुरैशी सोमवार को पहुंचे और  स्थानीय लोगों के साथ नमाज पढ़ी और बकरीद मनाई। इस मौके पर एक प्रेस वार्ता भी की और एक सवाल के जवाब में कहा 'आप जानते हैं कि दुनिया का उनके (भारत) साथ अपने हित हैं,. मैंने आपसे पहले ही इशारों इशारों में कह दिया कि वहां पर 1 अरब का बाजार है'। हमें मूर्खों के स्वर्ग में नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी और कश्मीरियों को यह जानना चाहिए कि कोई आपके लिए नहीं खड़ा है। आपको जद्दोजहद का आगाज करना होगा।

पाकिस्तान ने कई देशों से हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी। चीन, अमरीका , रूस, इंडोनेशिया, मालदीव, संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका आदि देशों ने सीधे-सीधे जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के मामले को भारत का आंतरिक मामला बताकर पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया है। उसे चीन से उम्मीद भी था लेकिन अब चीन भी पल्ला झाड़ लिया है क्योंकि हंगकौंग तथा अमेरिका आर्थिक नीति के कारण वह पाकिस्तान को कुछ नहीं मदद कर सकता है पाकिस्तान एक कंगाल देश है भारत बड़ा तथा आर्थिक व सैन्य ताकत रूप विश्व में उभर रहा है। इन सब घटनाओं से तिलमिलाया पाकिस्तान हर रोज कुछ न कुछ बयानबाजी कर रहा है। 

पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के मामले को संयुक्त राष्ट्र महासभा में ले जाना चाहता है।



गुरुवार, 8 अगस्त 2019

9 अगस्त विश्व मूलनिवासी दिवस बोले तो World Indigenous Peoples Day



विश्व आदिवासी नाम बताकर देश को फिर बांटने का षड्यंत्र किया जा रहा हैअगस्त को UNO द्वारा world indigenous day मनाया जा रहा है। Indigenous का मतलब होता है मूलनिवासीपरन्तु भारत में ईसाई मिशनरी तथा वामपंथियों के विचारकों द्वारा भारत में विश्व आदिवासी दिवस स्थापित करने की कोशिश किया जा रहा है। इसमें आदिवासी को बरगलाया जाता है कि आदिवासी ही भारत का मूलनिवासी है। इस संबध में 1994 में भारत सरकार ने UNO को स्पष्ट किया था कि भारत में रहने वाले जन सभी भारतवासी ही मूलनिवासी है।   

17वीं और 18वीं सदी के समय में यूरोप के कुछ देशों जैसे पुर्तगाल, फ्रांस, इंग्लैंड तथा अन्य देश के लोगों ने विश्व के अन्य महाद्वीपों के देशों में जाकर वहां से व्यापार करने लगे। उनको समझ में आया कि इन देशों से हमें आर्थिक लाभ मिल सकता है, और हम यहां पर सत्ता को भी प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए पुर्तगाल, फ्रांस, इंग्लैंड तथा अन्य यूरोपीय देशों ने अपने आधुनिक सैन्य ताकत सेउन्होंने कमजोर देशों को उपनिवेश बनाने की परंपरा शुरू की। वहां के निवासियों की बेरहमी से हत्या तथा उन्हें गुलाम बनाकर यूरोप के देशों में बेच दिया जाता था जिसे हम कह सकते है मानवतस्करी। जैसाकि अमेरिका के मूलनिवासी जिसे कोलम्बस ने रेड इन्डियन कहा था, आज वे लुप्तप्राय हो चुके है।   

जैसा कि हम जानते हैं कि पुर्तगालफ्रांसइंग्लैंड अमेरिका में जाने के बाद वहां के जो मूलनिवासी रेड इंडियन थे, इन्हें बहुत ही संख्या में उनकी हत्या की तथा उन्हें दास (गुलाम) बनाया गया, उनका व्यापर किया गया। ऐसे ही साउथ अफ्रीका में जाकर वहां के नीग्रो लोगों की हत्या की और उन्हें गुलाम बनाकर यूरोप के देशों में बेचा। ऐसे ही आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी किया गया। वहां के जो मूल निवासी है, उनकी हत्याएं कि उन्हें गुलाम बनाया उन्हें जबरदस्ती खेतों में काम कराएं। इस तरह वह सारे महाद्वीपों के प्रमुख देशों में उपनिवेश बनाएं। इसी तरह भारत भी इंग्लैंड, पुर्तगाल और फ्रांसीसी का उपनिवेश देश रहा है  जैसा कि हम जानते हैं भारत भी इन देशों का उपनिवेश देश रहा है। भारत में भी इसी प्रकार से हत्याकांड किया गया था। इतिहास में इन बदनामी को छुपाने के लिए इसे कहा गया कि Civilization किया गया। यह जो लोग थे असभ्य थे इन्हें सभ्य बनाने के लिए कृत्य था आज सभ्यता का चोला ओढ़े लोगों को वे रेड इन्डियन फिर से देखने लगे जिन्हें सभ्यता सिखाने के लिए निर्ममतापूर्वक हत्या किया गया दुनिया भर के देशों के ईसाईसभ्यता के अत्याचारों से बचे मूल निवासियों के मानवाधिकारों के संरक्षण का हवाला देते हुए, जिसकी पहली बैठक 9 अगस्त 1982 को हुई थी। इसी 9 अगस्त 1994 को जेनेवा में विश्व का पहला अन्तर्राष्ट्रीय मूलनिवासी दिवस आयोजित किया गया था। जिसके बाद से हर साल 9 अगस्त को विश्व मूलनिवासी दिवस के आयोजन की शुरूआत हुई। UNO ने बचे हुए रेड इन्डियन जैसे मूलनिवासियों के संस्कृति, भाषा, उनके मूलभूत हक अधिकारों के संरक्षण के लिए यह पहल हुई। लेकिन इनकी यह कोशिश भारत सरकार ने भारत में असफल कर दी      

15 अगस्त 1947 भारत आजाद हो गया। आजादी के बाद देश चलने के लिए संविधान बनाया गया। भारत के संविधान में सभी निवासियों को मूलनिवासी माना गया तथा सभी को संविधान द्वारा मौलिक अधिकार प्राप्त है। यहाँ तक की ईसाई जो अंग्रेजों का साथ दिए थे उन्हें भी भारत का नागरिक मन गया। इसी आधार 1994 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार UNO में स्पष्ट किया कि भारत में रहने वाले सभी निवासी ही मूल निवासी ही है, अर्थात सभी भारतवासी ही मूलनिवासी है। भारत में जनजाति समाज को सभी तरह के संवैधानिक अधिकार संविधान द्वारा आजादी के तुरंत बने संविधान से प्राप्त हैं। दुनिया को भारत से सीखने की आवश्यकता है कि यहां पर जनजाति को समाज का महत्वपूर्ण अंग माना है। ऐसे में यहां मूलनिवासी दिवस मनाने का कोई औचित्य नहीं है। मूलनिवासी दिवस मनाने वाले को पहले भारत के संविधान में  जनजाति समाज को मिले संवैधानिक अधिकारों का अध्ययन करना चाहिए। 

आदिवासी दिवस के आयोजकों के रूप में पीछे से वामपंथी और ईसाई मिशनरियों का बड़ा हाथ है। जनजातीय समुदाय को बड़े पैमाने पर कई राज्यों में आदिवासियों का धर्मांतरण करने में लिप्त हैं। आदिवासियों को हिंदू से अलग धर्मकोड देने की लगातार मांग करते आ रहे हैं। ऐसे लोग आदिवासियों को अलग पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि जनजाति हिंदू समाज के एक अंग है, जो हिंदुओं के खिलाफ एक गहरी साजिश है जिसे मूलनिवासी आदिवासी करने की कोशिश की जा रही है। सभी पंथ, सम्प्रदाय, धर्म एव संस्कृति और परम्पराओ को संरक्षण करने का अधिकार प्राप्त है। लेकिन वर्षो से वनों में रहने वाले वनवासियों ( जनजाति ) के संरक्षण लिए विशेष प्रावधान किये गए।