सोमवार, 30 सितंबर 2019

आज से 9 वर्ष पूर्व राम मंदिर पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था -



30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अयोध्या में राम मंदिर पर मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था जस्टिस डी वी शर्मा जस्टिस सुधीर अग्रवालजस्टिस और एस यू खान की बेंच ने फैसले में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांट दिया था जिसमें राम लला विराजमान वाला हिस्सा हिंदू महासभा को दिया गया दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को और तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया गया। वर्षो के सुनवाई के बाद जस्टिस डी वी शर्मा ने सेवानिवृत्त होने से पूर्व राम मंदिर पर अपना फैसला सुनाने का हिम्मत दिखया था इस फैसले को रोक लगाने के लिए हिन्दू महासभा और सुन्नी वक्फ बोर्ड सुप्रीमकोर्ट में गए थे 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ, दिसंबर में हिंदू महासभा और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने पुरानी स्थिति बरकरार रखने का आदेश दे दिया, तब से इस मामले में यथास्थिति बरकरार है  जिस पर 9 मई 2011 सुनवाई प्रतिदिन सुप्रीमकोर्ट में हो रही है

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट को आधार माना था जिसमें कहा गया था कि खुदाई के दौरान विवादित स्थल पर मंदिर के प्रमाण मिले थे इसके अलावा भगवान राम के जन्म होने की मान्यता को भी शामिल किया गया था हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा था कि साढ़े चार सौ साल से मौजूद एक इमारत के ऐतिहासिक तथ्यों की भी अनदेखी नहीं की जा सकती


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