गुरुवार, 18 अगस्त 2011

अन्ना बनाम मनमोहन

पुरे भारत में जनबल के द्वारा अन्ना हजारे ने जो आंदोलन का खड़ा कर दिया है उससे सरकार और upaupa के हाथ पैर फुल चुके है | लेकिन क्या सरकार ने यह सोचा था कि यह आंदोलन इतना बड़ा रूप लेकर उसके नाक में दम कर देगा | सरकार ने बाबा रामदेव के साथ जो किया था वैसा कोशिश करने प्रयत्न किया था | सुबह ही अन्ना हजारे तथा इनके साथ के लोगो को गिरफ्तार किया गया लेकिन शाम को लोगों के दबाव में आ कर इन्हें वापस छोडना पड़ा लेकिन अन्ना ने अपने शर्त पर रामलीला मैदान पर अनुमति ले कर अपना आम लोगों के साथ पुनआंदोलन प्रारभ किया |
सबसे बड़ी बात यह है कि खुद प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह इतने पढ़े लिखे होने के बाद भी एक सातवीं पास देश के सिपाही से हारे हुए है | दुनिया के सभी देशो में गये हुए ,२२ वर्षोंसे भारत सरकार में कई बार मंत्री रहे | दुनिया कि बदलती राजनीति को देखा हुआ हमारे देश के प्रधानमंत्री आज असहाय खड़े नजर आ रहे है | फिर उनके सामान और मंत्री कपिल सिब्बल चितम्बरम और सलमान खुर्शीद भी हावर्ड युनिवसिटी से निकले है और बाबा रामदेव के आंदोलन की बाट लगा दी लेकिन आज अन्ना के आंदोलन में सब की सब वकालत धरी रह गया है | पूरी सरकार बगल झाक रही है क्या करे उन्हें समझ में नहीं आ रहा है | सरकार और कांग्रेस को सलाह देने वाले एक से एक लोगों को आज सांफ सुघ गया है | सरकार के साथ उनकी दिमाग प्रशासनिक अधिकारी जो मंत्री और सरकार को अपना फालतू दिमाग देते रहते है | आज उनका दिमाग काम नहीं कर रहा है क्योंकि वे सब लोग भ्रष्टाचार में डूबे हुए है | यानि देश के महा धुरंधर लोग हाथ पर हाथ धर कर बैठे हुए है | जो सरकार को अंग्रेजी बुद्धि दे कर आम लोगों से दूर करती है | बस यही पर ये लोग मार खा गये और अन्ना के साथ ऐसा ही काम किये जो बाबा रामदेव के किये थे | आम लोगों ने देखा किस प्रकार रात को सोते लोगों पर लाठी बरसाईं गई | आम लोग ने पसद नहीं किया यही प्रधानमंत्री मनमोहन ने कहा की और कोई रास्ता नहीं था | यही रास्ता यहाँ पर बनाया तो आम लोग यह छलकपट देखा कर विरोध प्रदर्शन करने लगा और सरकार को अनपी गलती समझा में आये तो तब तक देर हो चूका था | लेकिन बात यह है की सरकार के पास इतनी संसाधन के होते हुए भी यह आंदोलन को रोक नहीं पाई है उसका मूल कारण थी जो सरकार की नीयत पर थी |
जब कोई लड़ाई नैतिकता के बल से होता है तो उसपर चलने वाले ही लोगों की जित होती है | बस यह लड़ाई है वह चरित्र वाले उज्जवल व्यक्ति के साथ था | जो अपने चरित्र एवं नैतिक बल से लड़ाई लडी तो सरकार का कोई चरित्र नहीं है एवं नहीं नैतिकता है | क्योंकि सरकार पूरी तरह से भ्रष्टाचार के मामले में पूरी तरह से उसमे डूबा हुआ है | ऐसा ही हाल अंग्रेजो का था जो भारत में अनैतिक के कारण उन्हें छोड़कर जाना पड़ा | यहाँ पर सरकार की ऐसा ही हालत है कि- ७ वर्षों में भ्रस्टाचार और अराजकता इतना बड़ा कि आम जनता को लगा कि अब बहुत हो चूका कुछ बदलना चाहिए | पिछले वर्ष से जो लगातार भ्रस्टाचार उजागर हो रहे है लेकिन सरकार मानती नहीं थी लेकिन जनता के दबाव केकारण जाच के नाम पर लीपापोती कर नापने नेताओं तथा लिपत अधिकारी को बचने में लगे रहे है | यह हाल सभी राजनैतिक पार्टीयों का यही हाल है | पूरी तरह ऐसा लगता है कि यह सरकार देश कि नहीं बल्कि पूरी तरह अंगेजों कि सरकार कि तरह काम कर रही है | १९७५ में देश में आपातकाल लगाया गयाः गया था उस समय कांग्रेरसियों के तानाशाह प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिराजी ने देश में आपातकाल लगा था कहा कि बिपक्ष देश में अराजकता तथा देश से बगावत कर रहे थे | तो जयप्रकाश नारायण ने आपातकाल का विरोध कर गाँधी वादी आंदोलन कर लाखो लोगों के साथ जेल गये | वैसी स्थिति आज पुरे भारत में है लेकिन रिमोट से संचालित सरकार कि इतनी हिम्मत नहीं है कि वह आपातकाल लगा सके तो वह अब चुपचाप सो रही है और कह रही कि अन्ना देश कि संसद कि अवमानना कर रही है लेकिन ये नेतागण ने संसद का ६० वर्षों से रोज अपमान कर रहे है उसपर कुछ नहीं बोलते है|
अब सरकार नैतिक और चरित्रिक रूप से खत्म हो चुकी है | केवल नाम मात्र का सरकार है बस प्रधानमंत्री मनमोहन केवल ईमानदारी का पुतला बने हुए है | उनके मंत्रीमंडल सब आज भ्रस्टाचार में लगे हुए सरकार रहते उनके मंत्री जेल में है | जब आम आदमी यह सब मूक रूप से देख रह है कि समय आये | बाबा रामदेव और अन्य ईमानदार लोगों ने जनता के जगाने काम करते यह समय आया कि आज जनता ने रस्ते आकर आंदोलन शांतिपूर्वक कर रहे है | लेकिन सरकार के लोग अभी भी छलकपट करने लगे है | कभी अन्ना को भगोड़ा बोलते है और अपनी के सामाजिक कार्य पर उगली उठाते हुए इन्हें शर्म तक नहीं आती है | देश को आज जिस मुकाम पर खड़ा कर दिए है कि अन्ना को आन्दोलन के लिए रोड पर आना पड़ा है | जिन लोगों ने अन्ना के साथ बनकर यह आंदोलन को शुरू किया है | उन सभी ने अपने जीवन में अच्छा काम करने का प्रयत्न किये है |
हमारे पुराणों में कहा गया है कि चरित्र के बल से बहुत कुछ प्राप्त किया जा सकता है | अन्ना ने अपने जीवन में गाँधी जी जैसा जीवन जिया है इसलिए वह नैतिक रूप बलवान है | गांधीजी ने अपने आचरण और नैतिक बल से अंग्रेजो पर भारी पड़े और अंग्रजो को भारत छोडना पड़ा है | इसी नैतिक बल से अन्ना ने यह आंदोलन प्रारभ किया तो सरकार ने अंग्रजो जैसा व्यवहार करने लगी है | अन्ना पर आरोपों झड़ी लगा दिया ,लेकिन सरकार और कांग्रेस के आचरण तो राक्षस जैसा है | जिस नैतिक के आधार पर गाँधी जी ने देश को आजादी दी उसी आजादी को भ्रस्टाचार से लिप्त करदिया | पूर्व रास्ट्रपति कलाम ने कह कि –जब वह छोटे थे तो उनके पिता जी के अनुपस्थिति उपहार देने आया था वह कलाम ने ले लिया | जब पिता जी वापस आये तो कलाम ने उन्हें बताया तो पिताजी ने कहा कि जिसे तुम नहीं जानते उससे कोई सामान नहीं लेना चाहिए | यह बात कलाम ने जीवन भर निभाया और राष्ट्रपति भवन में भी कुछ भी नहीं लिया | यह सब संस्कारो से प्राप्त होता है संस्कार एक दिन में नहीं आता उसके लिए अपने जीवन में अपने आचरण में लाना होता है | इसी से नैतिक का स्वयं निमार्ण होता जाता है |यही बल को कोई व्यक्ति अपने जीवन का आदर्श बनाता है तो तभी गाँधी जी या अन्ना या जयप्रकाशनारायण जैसे आंदोलन खड़ा होता है |
एक तरफ अन्ना जो सातवीं पास दूसरी तरफ दुनिया कि बदलती तस्वीर देखने वाले भारत के भ्रस्ट प्रधानमंत्री मनमोहन मंत्रीमंडल और कांग्रेसियों कि तथाकथित सरकार के बीच हो गया है | आज आम जनता जो २ वर्ष पहले चुनकर भेजी और आज उसके खिलाफ आंदोलन कर रही है| अब सरकार के पास कोई चारा नहीं बच है इसलिए उसे इस्तीफा देकर सरकार से बाहर जाना चाहिए |

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