हमारे पडोसी देश पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को राजद्रोह के
मामले में मौत की सजा सुनाई गई है। पाकिस्तान की विशेष अदालत ने पूर्व सैन्य शासक
को दोषी करार देते हुए पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ मौत की सजा सुनाई। पूर्व
राष्ट्रपति के खिलाफ मामले की सुनवाई पेशावर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
वकार अहमद सेठ के नेतृत्व वाली विशेष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने की है।
1999 मे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी
जी ने अमृतसर से लाहौर बस यात्रा कर भारत-पाकिस्तान
रिश्तों को दोस्ती की नई शुरुवात
किये, जबकि उस वक्त कुछ ही महीने पहले दोनों देशों ने
परमाणु परीक्षण किए थे। लेकिन इस यात्रा के दो महीने बाद ही करगिल की जंग शुरू हो गई, इसके खलनायक पाकिस्तानी सेना के जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ ही थे। जब भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाब शरीफ को फोन कर बताया कि पाकिस्तानी सेना ने भारत के हिस्से कारगिल पर कब्ज़ा किया है। जब जाकर नवाब शरीफ को पता चला लेकिन दुनिया जानती है कि पाकितान में सेना प्रमुख का राज्य चलता है। पाकिस्तानी टीवी चैनल पर इंटरव्यू में कहा था कि सेना भारत कि गर्दन मरोड़ा लेकिन राजनीतिक सहयोग नहीं मिलने से पाकिस्तान को नुकसान हुआ।
अक्टूबर 1999 में
नवाज़ शरीफ़ ने जब मुशर्रफ़ को उनके पद से हटाने की कोशिश की तो मुशर्रफ़ के प्रति
वफ़ादार जनरलों ने शरीफ़ का ही तख्ता पलट करके सरकार पर कब्जा कर लिया। मई 2000 में पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने
आदेश दिया कि पाकिस्तान में चुनाव कराए जाएं। मुशर्रफ़ ने जून 2001 में तत्कालीन राष्ट्रपति रफीक़ तरार को
हटा दिया व खुद राष्ट्रपति बन गए। अप्रैल 2002 में
उन्होंने राष्ट्रपति बने रहने के लिए जनमत-संग्रह कराया
जिसका अधिकतर राजनैतिक दलों ने
बहिष्कार किया। अक्टूबर 2002 में पाकिस्तान में
चुनाव हुए जिसमें मुशर्रफ़ का समर्थन करने वाली मुत्ताहिदा मजलिस-ए-अमाल पार्टी
को बहुमत मिला। इनकी सहायता से मुशर्रफ़ ने पाकिस्तान के संविधान में
कई परिवर्तन कराए जिनसे 1999 के तख्ता-पलट और
मुशर्रफ़ के अन्य कई आदेशों को वैधानिक सम्मति मिल गई।