सोमवार, 24 जून 2019

आपातकाल- लोकतंत्र की हत्या

25 जून 1975 को देश में इंदिरा गाँधी द्वारा आपातकाल घोषित किया गया था "आपातकाल" इस दिन को भारत वर्ष में काले अध्याय के रूप में जाना जाता है भारत में लोकतंत्र के उदय के 27 वर्ष में ही, लोकतंत्र की जघन्य हत्या किया गया था इसके लिए केवल कांग्रेस पार्टी तथा श्रीमती इंदिरा गाँधी ही जिम्मेदार थी श्रीमती इंदिरा गाँधी द्वारा अपने विरोधियों को समाप्त करने हेतु तथा संविधान द्वारा सामान्य नागरिक को मिले मौलिक अधिकार खत्म, प्रेस पर प्रतिबन्ध तथा आगामी आदेश तक सभी चुनाव स्थगित कर दिए गए थे  

शुरुआत 12 जून 1975 से हो गई, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने इस दिन अपने बड़े और साहसिक फैसले में रायबरेली से सांसद के रूप में इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैध करार दे दिया साथ ही हाईकोर्ट ने अगले 6 साल तक उनके किसी भी तरह के चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी 'इंदिरा गांधी बनाम राजनारायण' इस प्रकरण में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा को फोन द्वारा धमकी भी दी गई कि इंदिरा गाँधी के खिलाफ फैसले दिए जाने पर जान माल का खतरा रहेगा इसके बाद भी उन्होंने अपराधियों पर कानून डंडा चलाया 

1971 आम चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने रायबरेली संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था और एक लाख से ज्यादा वोटों से चुनाव जीती थीं लेकिन उनके प्रतिद्वंदी और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण ने इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दे दी इंदिरा की इस जीत को इलाहाबाद हाईकोर्ट में यह केस उस समय बेहद चर्चित रहा, जिसे 'इंदिरा गांधी बनाम राजनारायण' के नाम से जाना गया लेकिन इस चुनाव पर फैसला 4 साल बाद 1975 में आया। इस फैसले के 11 दिन बाद 23 जून को इंदिरा ने सुप्रीम कोर्ट में इसकी चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए। 24 जून को सुप्रीम कोर्ट की ग्रीष्मकालीन अवकाश पीठ के जज जस्टिस वीआर कृष्णा अय्यर ने फैसला सुनाते हुए कहा कि वे हाईकोर्ट के फैसले पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाएंगे लेकिन उन्होंने इंदिरा को प्रधानमंत्री पद पर बने रहने की इजाजत दे दी. साथ ही यह भी निर्देश दिया कि वो अंतिम फैसला आने तक बतौर सांसद किसी भी तरह का मतदान नहीं कर सकेंगी

राजनारायण ने अपने केस में इंदिरा गांधी पर भ्रष्टाचार, सरकारी मशीनरी और संसाधनों के दुरुपयोग करने का आरोप लगाया राजनारायण की ओर शांतिभूषण (जो कि प्रशांत भूषण के पिता है) ने जबकि इंदिरा की ओर से नानाभाय पाल्खीवाला ने केस लड़ा शांतिभूषण ने राजनारायण का पक्ष रखते हुए कहा कि इंदिरा ने चुनाव प्रचार में सरकारी कर्मचारियों और संशाधनों तक का इस्तेमाल किया उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री के सचिव यशपाल कपूर का उदाहरण दिया जिन्होंने राष्ट्रपति की ओर से इस्तीफा मंजूर होने से पहले ही इंदिरा के लिए काम करना शुरू कर दिया था यही दलील इंदिरा के खिलाफ गई और कोर्ट ने जनप्रतिनिधित्व कानून के आधार पर उनके चुनाव को खारिज कर दिया

देश में कांग्रेस पार्टी के द्वारा भ्रष्टाचार तथा आम जनता और छात्रों पर हो रहे अत्याचार के कारण इस बीच गुजरात और बिहार में छात्र आंदोलनों के कारण विपक्ष एकजुट होता जा रहा था 'लोकनायक' जयप्रकाश नारायण (जेपी) के नेतृत्व में विपक्ष एकजुट हो चुका था और केंद्र सरकार पर लगातार हमलावर थे हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विपक्ष और हमलावर हो गया

इस बीच दिल्ली की रैली में जेपी ने प्रख्यात कवि रामधारी सिंह दिनकर की एक कविता का अंश 'सिंहासन खाली करो कि जनता आती है' को अपना नारा बनाया और इसी को आधार बनाकर इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 की आधी रात देश में आपातकाल लगाने का फैसला लिया राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की ओर से हस्ताक्षर किए जाने के बाद देश में आपातकाल लगा दिया गया

मंगलवार, 18 जून 2019

ममता सरकार को बदनामी और जनता के सामने अपमानित होना पड़ा


पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और हड़ताली डॉक्टरों के साथ मीटिंग के बाद 7 दिनों की हड़ताल खत्म हो गई। जनता के सामने ममता बनर्जी की सरकार की केवल बदनाम हुए है अब डॉक्टरों से माफ़ी मांगने तथा उनको सुरक्षा देना पड़ा है 
  
नील रतन सरकार मेडिकल कॉलेज कुछ दिन पूर्व 80 वर्ष के वृद्ध की मृत्यु होने के बाद 200 TMC ( बिशेष समुदाय के लोग ) के गुंडों ने मेडिकल कॉलेज में पत्थरबाजी किया था। जिसमे एक डॉक्टर की मौत एक घायल हो गया। इसके ठीक दुसरे दिन डॉक्टरों ने एक दिन का धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया था। इस धरने में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जाकर डॉक्टरों को धमकाया कहा कि आप लोग भाजपा के लोग हो, सरकार के खिलाफ काम करते हो, तुरंत वापस काम पर जाओ नहीं तो ... यही शब्द से बात बिगड़ गई

इसके बाद मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया। यह डॉक्टरों का आन्दोलन पुरे बंगाल में फैल गया। बंगाल में १४ मेडिकल कॉलेज है, सभी डॉक्टरों ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया। इसका यह परिणाम हुआ, की प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था ठप हो गया। तब जाकर ममता बनर्जी की आंख खुली तक तक देर हो चूका था। इस हड़ताल का असर पुरे देश पर पड़ने लगा। एम्स दिल्ली के डॉक्टरों ने भी काली पट्टी लगाकर विरोध प्रदर्शन करने लगे। केंद्र सरकार पर हस्तक्षेप करने की मांग भी करने लगे, इसके बाद ममता बनर्जी दबाब में आ गई क्योंकि चुनाव तथा भाजपा के 70 से अधिक कार्यकत्र्ताओं की हत्या हो चुकी है। ममता बनर्जी को डर था, कि कही मोदी सरकार उनकी राज्य की सरकार को बर्खास्त कर सकती है।

इसलिए हड़ताली डॉक्टरों की सभी मांगों को मानने के लिए ममता सरकार मजबूर हो गई है। आज सभी डॉक्टरों हॉस्पिटल में काम पर आ गये होगे। इस आन्दोलन से फायदा किसको हुआ, लेकिन ममता बनर्जी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। लोकसभा चुनाव में हुए हिंसा ने बंगाल को पुरे देश में बदनाम कर दिया है। ममता बनर्जी को चाहिए था कि बंगाल को नई छवि बनाने की, लेकिन ममता बनर्जी की जिद्द ने हालत को और भी अधिक बिगड़ दिया ।    


शुक्रवार, 14 जून 2019

छत्तीसगढ़ की जनता बिजली कट की अपनी पीड़ा को सोशल मीडिया में शेयर नहीं कर सकते, राजदोह का अपराध हो रहे है दर्ज


ऐसा तो देश में आपातकाल 1975 के समय हुआ कि इंदिरा गाँधी के खिलाफ कोई कह देता था और कोई कॉग्रेसी सुने ले तो उसके खिलाफ देशदोह आरोप लगता है ऐसा ही आरोप एक -
छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव जिले का रहने वाला नाम मांगेलाल अग्रवाल है उसे गुरुवार शाम को गिरफ्तार किया गया उसका अपराध यह है कि उसने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें आरोप लगाए गए हैं कि राज्य सरकार की इनवर्टर बनाने वाली कंपनी से सांठगांठ है
53 वर्षीय मांगेलाल अग्रवाल पर यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड की शिकायत के बाद की गई है पावर कंपनी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि एक अज्ञात शख्स सोशल मीडिया पर गलत जानकारी दे रहा है, और अफवाह फैलाकर सीएम भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है
जिसके बाद अग्रवाल को धारा 124ए(राजद्रोह) और 505/1/2 (सरकार के खिलाफ प्रोपेगेंडा) के तहत गिरफ्तार किया गया और इसे इमरजेंसी (आपातकाल) कह सकते है  सोशल मिडिया में हो रही बेइज्जत के बाद छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल ने भी इस मामले में बयान दिया है कि सभी को अपनी बात कहने का हक है अगर कोई व्यक्ति अपनी राय जाहिर करता है, तो राजद्रोह का मामला उस पर नहीं बनना चाहिए यह हमारे मैनिफेस्टो में था कि धारा 124ए को खत्म किया जाएगा लेकिन कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा कि यह मामला बिजली के कटने से संबंधित नहीं है बल्कि यह सरकार को जानबूझकर बदनाम करने का मामला है अगर गिरफ्तार व्यक्ति के पास अपने बयान को समर्थन करने वाला कोई सबूत है तो उसे जनता के सामने इन्हें रखना चाहिए

महासमुंद के दिलीप शर्मा ने वेब मोर्चा पोर्टल पर 50 गांवों में 48 घंटे बिजली बंद होने होने की खबर चला दी थी। बिजली कंपनी के डीई एसके साहू की शिकायत पर गुस्र्वार रात 11 बजे पुलिस ने शर्मा को घर से बनियान-टॉवेल में उठा लिया था। पुलिस ने मिथ्या भ्रामक विषयवस्तु को जनमानस में प्रसारित करके जनाक्रोश फैलाने की कोशिश करने का मामला दर्ज किया। शुक्रवार सुबह 11 बजे कोर्ट में पेश किया, उसके बाद शर्मा को कोर्ट ने जमानत दे दी। 

मंगलवार, 11 जून 2019

रायपुर स्काईवॉक प्रोजेक्ट पूरा होने में 80 करोड़, तोड़ने में 8 करोड़



छत्तीसगढ़ के राजधानी रायपुर के शास्त्री चौक के चारों ओर की सड़कों पर जिस स्काईवॉक के तैयार होने से पहले ही टूटने का खतरा पैदा हो गया है। भुपेश बघेल सरकार के आने के बाद से राजनीतिक विवाद छिड़ा है कि आखिर इस स्काईवॉक की उपयोगिता तथा इस्तेमाल कितने लोग करेंगे
 ?


जब आप रायपुर के कोर्ट से तहसील कार्यालय जाना पड़े और कलेक्टर कार्यालय आकरकमिश्नर के कार्यालयफिर कागज की फोटो कॉपी करना पड़े। तक समझ में आता हैशास्त्री चौक से गुजरना। शहर का सबसे ज्यादा ट्रैफिक अव्यवस्था का सामना कर पड़ता है। आमजन की सुविधा के लिए स्काईवॉक का योजना डॉ रमन सिंह सरकार ने लाया था। योजना सही हैलेकिन नीयत भी ठीक हैलेकिन कांग्रेस की बघेल सरकार ने तोड़ने की मुड़ में दिख रहा है। कुछ दिनों के समाचार पत्रों में छप रही खबरों पर है।


स्काईवॉक 49 करोड़ के बजट से शुरू हुआ लेकिन देरी के कारण 80 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। मै पिछले 20 सालों से सुन रहा हू कि जीई रोड पर टाटीबंध से आने वाले ट्रफिक जाम अधिक होने के कारण आजाद चौक से लेकर शारदा चौक, जयस्तभ चौक, शास्त्री चौक के ऊपर से तेलीबधा तक प्लाईओवर बनाया जायेगा  1998 में मध्यप्रदेश शासन को रायपुर नगर निगम से प्रस्ताव भेजा गया था। लेकिन खबर केवल समाचार पत्र में छपता ही रहा। अब तक रायपुरवासियों को यह सपना ही रहा। इस बीच कई बार सर्वे हुए लेकिन प्लाईओवर का सपना रायपुरवासियों के लिए दूर ही है।         

फिर से छत्तीसगढ़ शासन ने वर्ष 2014-15 में मुंबई की क्यूब कंसलटेंसी से जीई रोड पर फ्लाईओवर निर्माण के लिए सर्वे कराया। लेकिन फिर से फ्लाईओवर का प्रोजेक्ट निरस्त हो गया। फिर वर्ष 2015-16 में स्काईवॉक बनाने के लिए सर्वे कराया गया। इसका ठेका एसएन भावे कंसल्टेंसी को दिया गया। उस दौरान इस प्रोजेक्ट के लिए विभागीय बजट में 20 करोड़ की लागत भी तय थी। जिसे बाद में बढ़ाकर 50 करोड़ रुपए की गई। 

छत्तीसगढ़ शासन की कोशिशों के बाद भी स्काईवॉक काम में देरी भी हुई, यह भ्रष्टाचार की संदेह की संकेत करती है। समय पर काम पूरा नहीं होने से आम लोगों को परेशानी हो रही थी। इस बात का फायदा उठाकर कुछ लोग विरोध कर रहे है। भूपेश बघेल की सरकार उन्ही लोगों के दबाब में आकर स्काईवॉक को तोड़ने की बात कर रहे है। स्काईवॉक का निर्माण 70 प्रतिशत पूरा हो चका और अब तक 80 करोड़ के पास निर्माण का खर्च पहुच चूका है।लगभग 7 महीने से काम बंद है आदि सरकार स्काईवॉक को तोडती भी है, तो 8 करोड़ खर्च होगे तथा 3 महीने का समय लगेगा। स्काईवॉक से शास्त्री चौक की रौनक बढ़ जाएगी, पैदल चलने वालों को रास्ता, युवाओं के लिए एक सेल्फी लेने का केंद्र भी बन जायेगा।  

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शास्त्री चौक पर पैदल चलने वालों का हवाला देते हुए स्काईवॉक का निर्माण अप्रैल 2017 में शुरू कराया। तर्क दिया गया कि शहर के इस प्रमुख चौक के पास डीके हास्पिटलतहसील ऑफिसकलेक्ट्रेटकचहरी और डॉ. आंबेडकर अस्पताल जैसे आम लोगों से जुड़े हुए सरकारी संस्थान संचालित हैं। स्काईवॉक का एक सिरा जयस्तंभ चौक की तरफ तो दूसरा आंबेडकर अस्पतालतीसरा घड़ी चौक और चौथा सिरा मोतीबाग रोड की तरफ उतरेगा। इन रास्तों से लोग पैदल आना-जाना करेंगे।








शनिवार, 8 जून 2019

प्रधानमंत्री की विदेश दौरा,विदेश मंत्रालय की महीनों की तैयारी के बाद संभव होता है -



लोकसभा के चुनाव की घोषणा होने के बाद से विदेश मंत्रालय में सभी अधिकारी तीन महीने की छुट्टी पर चले जाते थे। लेकिन इस बार ऐसा नही हुआ। क्योंकि देश का चौकीदार जाग रहा था। मतलब यह है कि प्रधानमंत्री Narendra Modi जी ने चुनाव के समय भी, अपने विदेश नीति के लिए काम कर रहे थे। उनका आत्मविश्वास यह कहा है कि, वे पुन प्रधानमंत्री बनने जा रहे है।  South block में ही प्रधानमत्री कार्यालय तथा विदेश मंत्रालय स्थित है। जहां वे सारा काम करते है।

नरेन्द्र मोदी पिछले 5 वर्षो से एक भी दिन छुट्टी नहीं लिये है। इसलिए उन्होंने अपने काम को लेकर संबधित अधिकारियों को भी छुट्टी नहीं लेने दिया। चुनाव घोषणा होने से पूर्व ही सारे मीटिंग की तैयारी भी कर रहे थे। ऐसा आजादी के बाद पहली बार हुआ कि विदेश मंत्रालय के अधीनस्थ सभी दूतावास अपनी देश की योजना पर किया। चुनाव आयोग के द्वारा घोषणा पर सब अधिकारी व कर्मचारी छुट्टी पर चले जाते थे। अपने प्रधानमंत्री #narendramodi ने चुनाव प्रचार के दौर विदेश मंत्रालय के साथ PMO से लगातार जानकारी ले रहे थे। शपथ ग्रहण के बाद 10 दिनों में मालदीव की यात्रा तथा श्रीलंका पर पहुचे है। यह एक दो दिन कि तैयारी से नहीं बल्कि महीनों के तैयारी के बाद तय हो पता है। 

भारत सरकार के अधीनस्थ सभी देशों के दूतावास अपने सक्रिय रूप से काम कर रहे है। उन्होंने अपने छह महीने के विदेश प्रवास की योजनाओं पर प्रतिदिन की जानकारी अपडेट प्राप्त करते थे। चुनाव जीतने के बाद लोग मन्त्रीमंडल की तैयारी में लगे होंगे लेकिन मोदी आगामी प्रवास पर अपना एजेंडा तय कर रहे थे 14 15 शंघाई समिट (SCO) के लिए कगिकिस्तान की राजधानी बिश्केक  में जाने वाले है । जहा रूस के राष्ट्रपति पुतिन तथा चीन के राष्ट्रपति शीपी जिंग से मिल कर बात करने वाले है। जून के आखिर में जापान ओसका में G-20 की मीटिंग में जानेवाले है। वहा डोनाल्ड ट्रम तथा अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष के साथ मीटिंग होनी है।  
·        भूटान तथा नेपाल के दौरे में जाने वाले है  
·        अगस्त में फ़्रांस जाने वाले है वहा G-7 के मीटिंग में रहने वाले है   



गुरुवार, 6 जून 2019

बेरोजगारी दूर करने के लिए स्वरोजगार करने वालों की सर्वे


दूसरी बार सत्ता में आते ही मोदी सरकार एक्टिव हो गई है। मोदी सरकार इस बार अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक सर्वेक्षण करवाने वाली है। इस सर्वे में पहली बार स्ट्रीट वेंडर्स यानी ठेले, चाय, पान रिक्सावाले -रेहड़ीवालों को भी शामिल किया जाएगा। असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले की संख्या जुटाकर रोजगार के अन्य क्षेत्रों (स्रोत्र) को विकसित किया जाये, जिससे स्वरोजगार को बढ़ावा तथा बेरोजगारी को कम करना भी है।  

एक बात बताता हूँ कि हमारे बिश्रामपुर में एक भुजावाला है, रोज भुजा का ठेला लगाता है। प्रतिदिन वह भुजा वाला कम से कम में वह 2000 ₹ का भुजा बेचता होगा। उसकी मेहनत और सामग्रियों का खर्च निकले 1000₹ तो तथा 1000₹ रोज का बचत हो जाता होगा। लेकिन वह दावा करता कि ग्रेजुएट बेरोजगार है। देश में ऐसे बहुत सारे लोग भी है, जो स्वरोजगार करते है लेकिन खुद सरकारी नौकरी नहीं मिलने के कारण वह अपने को बेरोजगार कहते है। मोदी सरकार ने इन सभी लोगों को इस अभियान से जोड़कर, इन्हें भारत के अर्थव्यवस्था में जोड़ना भी होगा। कहने का मतलब की ऐसे लोगों को चिन्हित किया जाना चाहिए कि यह लोग अन्य लोगों को भी रोजगार दे सके। मतलब की इन्हें बैंकिंग प्रणाली से जोड़कर उनके काम और बढ़ाया जाए इसके लिए बैंक उन्हें लोन दे। तथा ऐसे लोग अपना छोटा कारोबार और भी बढ़ा सकें। आज से 20-25 साल पहले कई लोगों ने चाट फुल्की का ठेला आज वे लोग अपना कारोबार बहुत बढ़ लिये है।

यह आर्थिक सर्वे देश में बेरोजगारी के सटीक आंकड़े जुटाने के लिए कराया जा रहा है। सरकार इस सर्वे के तहत 27 करोड़ से ज्यादा परिवारों और 7 करोड़ से ज्यादा ठेले, चाय वाले, पान मसाला वाले, रिक्सा ऑटो चालक, -रेहड़ीवालों आदि और छोटे दुकानदारों को शामिल कर उनकी आर्थिक स्थिति की रूपरेखा तैयार की जाएगी।


ये सर्वे जनसंख्या सर्वेक्षण जैसा ही होगा। ये सर्वे जून के अंत में शुरू किया जाएगा और अगले छह महीनों में रिपोर्ट तैयार कर ली जाएगी।

बुधवार, 5 जून 2019

@NarenedraModi के कूटनीति के कारण पाकिस्तानी सेना को अपनी बजट में कटौती करनी पड़ रहा है-


जरूरी नहीं है कि आप अपने दुश्मनों को मारे या हिंसा करें। लेकिन आप में क्षमता हो, तो दुश्मन को अपने सामने घुटना टेकने को मजबूर कर सकते हो। अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा ही किया, कि अपने कूटनीति के तहत पाकिस्तान को मजबूर ही किया है। क्योंकि पाकिस्तान की सेना द्वारा हमारे देश पर बार बार आतंकियों द्वारा छदम युद्ध के रूप में हमला किया जाता रहा है। कश्मीरियों को अलगाववादी नेताओं तक पैसा पहुँचाया जाता है। यहां तक की भारतीय सेना पर पत्थरबाजी करने के लिए पत्थरबाजों को पैसा दिया जाता है। फरवरी महीने में बड़ा हमला पुलवामा पर #CRPF  के जवानों के बस पर फिदायान हमला किया गया और पाकिस्तानी सेना द्वारा पोषित आतंकी संगठन ने जिम्मेदारी ली।
आज अमेरिका और अनेक यूरोपीय देश पाकिस्तान से व्यापार करना बंद कर दिया है। क्योंकि पाकिस्तान की सेना ही देश चलती है। दुनिया को दिखाने के लिए लोकतंत्र है जबकि प्रशासन सेना ही चलती है। इमरान खान पाकिस्तान के नाम मात्र के प्रधानमंत्री है। पूरी दुनिया जानती है कि सेना ने फर्जी तरीके से जीत कर प्रधानमंत्री बनाया है। मोदी सरकार की कूटनीति के अर्थव्यवस्था गिर गया है। उनके पास आज देश को चलाने के लिए पैसे भी नही है। पाकिस्तान को IMF चरणों मे जाना पड़ा। जिसके बाद कठोर शर्तो के साथ दिए गए 6 अरब डॉलर। कड़े शर्त के कारण पाकिस्तान की सेना को अपने खर्चो में कटौती करना पड़ा है।

मंगलवार, 4 जून 2019

छत्तीसगढ़ कांग्रेसियों को पुनिया ने दी नसीहत कि - बंद करो छत्तीसगढ़िया और गैर छत्तीसगढ़िया


छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद लोकसभा चुनाव 2019 में पार्टी को करारी हार मिली है। वही इस कारण प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने रविवार को राजीव भवन में कांग्रेसियों को आगाह किया है कि सबसे पहले तो संगठन के भीतर छत्तीसगढ़िया और गैर छत्तीसगढ़िया नेता-कार्यकर्ता के बीच के भेद को खत्म करना जरूरी है।  पुनिया ने कहा कि यक्ष प्रश्न यही था कि पांच माह में ऐसा क्या हो गया कि कांग्रेस का वोट प्रतिशत 43 से गिरकर  40  पर पहुंच गया और भाजपा का  33  प्रतिशत से बढ़कर  50  प्रतिशत पहुंच गई।

छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस की 67 सीट से भारी बहुमत से जीत कर सत्ता में आयी। राहुल गांधी ने भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनाया। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण होने के बाद से ही पहली बार मुख्यमंत्री  छत्तीसगढ़िया बना हैऐसा माहौल बनाया गया कि यह भूपेश बघेल की सरकार छत्तीसगढ़ियों की सरकार है। आज भी बहुत से लोग नौकरी, रोजगार, शिक्षा, व्यापार, विस्थापन, पलायन, अच्छे अवसरो के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य में जा कर बसते ( निवास ) हैं। संविधान में आम नागरिकों को यह मौलिक अधिकार है कि भारत में रोजगार या जीवन यापन के लिए किसी भी कोने में बस (निवास) सकता है। विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की इस बर्ताव से गैर छत्तीसगढ़ के लोग नाराज हो गए है, यह कारण भी भी एक कारण है। अब देख लो रघुवर दास झारखंड के मुख्यमंत्री है। इनके पूर्वज रोजगार के लिए छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव से झारखंड गए थे, आज रघुवर दास मुख्यमंत्री झारखंड के है। अभी मोदी सरकार में रामेश्वर तेली को केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया है। इनके भी परिवार असम के चाय बागान में रोजगार के लिए छत्तीसगढ़ से असम गए। असम से सांसद चुने गए और  मोदी सरकार केन्द्रीय राज्य मंत्री बनाये गए है ।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जब से मुख्यमंत्री बने है, तब से प्रशासनिक अराजकता छत्तीसगढ़ में बन चूका है। पहला कारण है प्रशासन में गैर छत्तीसगढ़िया अधिकारियों की बहुलता है। पिछले 5 वर्षो में रमन सरकार ने जरुरत से ज्यादा इन अधिकारियों को सर पर चढ़ाया था15 वर्ष बाद अचानक सत्ता बदल गई लेकिन यह अधिकारी अपना वही आदत नहीं बदले, परिणाम सामने है दूसरी बात कांग्रेस के कार्यकर्त्ता अतिविश्वास में रहे की हम जीत रहे हैमैं कहता था कि 1996 से लेकर 2014 तक लोकसभा चुनाव भाजपा जीत रही है लोकसभा में लड़ाई मोदी और राहुल का होगा तो कांग्रेस के लोग भी मोदी को ही समर्थन करेगे 2019 चुनाव में भी ऐसा ही हुआ