मंगलवार, 27 अप्रैल 2021

मोदी की वैक्सीन डिप्लोमैसी, दुनिया खड़ा हुए भारत के साथ, बाइडेन ने मोदी से बात अमेरिका करेगा पूरी मदद



भारत में कोरोना से बिगड़ते स्थिति पर विश्व की महाशक्तियां भारत के सहायता के साथ  खड़ी हो गई हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा है कि वे देख रहे हैं कि भारत की मदद कैसे की जा सकती है। जॉनसन ने कहा कि कोरोना महामारी की नया फेज बहुत घातक है। इसका हेल्थ सर्विसेज पर भी असर पड़ा हैब्रिटेन  हार संभव  मदद करेगा। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने रविवार को कहा कि उनकी सरकार भारत के लिए तत्काल ''सहायता मिशन'' की तैयारी कर ही है । कोविड महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच कई राज्यों में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ रहा है। इस लड़ाई में जर्मनी पूरी एकजुटता से भारत के साथ खड़ा है। जर्मन के प्रधानमंत्री ने भी पूरी दुनिया से मदद आने लगा है। जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदो सुगा ने भी मोदी से फोन पर चर्चा की। ऑस्ट्रेलिया कोविड-19 के मामलों में जूझ रहे भारत को तत्काल सहायता के रूप में ऑक्सीजनवेंटिलेटर और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) भेजेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच सोमवार को फोन पर बातचीत हुई। बाइडेन ने मोदी से कहा- जब अमेरिका कोविड-19 की वजह से मुश्किल दौर से गुजर रहा थातब भारत ने उसकी भरपूर मदद की थी। अब अमेरिका की बारी है।

जब भारत में वैक्सीन का प्रोड्क्शन शुरू हुआ था। तो भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी बहुत सारे देशो को वैक्सीन भेजा था। वह वैक्सीन उन देशों की एक आशा की किरण मिली की उनके देश में भी लोगों को कोविद19 के बचाव के लिए वैक्सीन मिल सकता है। भारत ने इस कठिन समय में दुनिया के 80 देशों को लगभग 6 करोड़ वैक्सीन के डोज को मुफ्त में भेजा है। इसी समय भारत में फ्रंटलाईन वैरीयर में कार्य कर रहे व्यक्तियों को ही वैक्सीन लगाया जा रहा था। इसी समय भारत के विपक्षी पार्टिया देश में हल्ला कर रही थी कि मोदी भारतीयों लोगों को वैक्सीन न लगाकर दुनिया में अपने नाम का वाह वाह करने के लिए मुफ्त में दे रही है। लेकिन इससें दूर मोदी ने तो दुनिया के बड़े बड़े दवाई कंपनियों के कोरोना वैक्सीन से कमाई के मंसूबों पर पानी फेर दिया। वही भारतीय संस्कृति की मूल भाव सर्वो भवन्तु सुखिनः का सन्देश भी विश्व को दे दिया। जब भी भारत पर संकट आएगा तो विश्व भारत की सहायता के लिए आगे आयेगे। 

भारत में अचानक से कोविद19 के रोगियों की संख्या बढ़ गई है। इस मुश्किल समय में भारत को सभी मित्र देशों का पूरा सहयोग मिल शुरू हो गया है। ब्रिटेन से लाइफ सेविंग हेल्प पैकेज की पहली खेप मंगलवार सुबह दिल्ली पहुंच गई है। इसमें 100 वेंटिलेटर और 95 ऑक्सीजन कंसट्रेटर हैं। मदद की दूसरी खेप भी जल्द आएगी जिसमें एयरलाइन कंटेनर लोड शामिल होंगे। इसमें 495 ऑक्सीजन कंसट्रेटर, 120 नॉन-इंवेजिव वेंटिलेटर और 20 मैनुअल वेंटिलेटर आदि शामिल हैं। भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुअल लेनिन ने ट्वीट कर कहा कि अगले कुछ दिनों में भारत को  8 उच्च क्षमता ऑक्सीजन जनरेटरप्रत्येक 250 बेड के लिए साल भर ऑक्सीजन, 5 दिनों के लिए 2, 000 रोगियों को लिक्विड ऑक्सीजनआईसीयू के लिए 28 वेंटिलेटर और उपकरण भेजेगा।       

सिंगापुर से चार क्रायोजेनिक टैंकरों का  भारत आ चूका है। अभी सरकार 20 क्रायोजेनिक और थाईलैंड से मंगा रही है। यूरोपीय संघ ने भारत को तत्काल सहायता मुहैया कराने के लिए सिविल प्रोटेक्शन मेकनिज्म को सक्रिय कर दिया है। यूरोप संघ के अध्यक्ष उर्सुला बोन दली ने कहा है कि यूरोपीय संघ अपने संसाधन को जुटाने जुटा रहा है, ताकि भारत तक फौरन मदद पहुंचाई जा सके। संयुक्त राज्य अमीरात में इस समय प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों को कोविड-19 के खिलाफ भारत की जंग में देश के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए तिरंगे रंग से रोशन किया। दुबई में आबूधाबी नेशनल ऑयल कंपनी के मुख्यालय एवं दुनिया के सबसे ऊंचा इमारत बुर्ज खलीफा को भारतीय ध्वज से रंग के रोशन किया। ऑस्ट्रेलिया ने भारत को तत्काल सहायता के रूप में ऑक्सीजन वेंटिलेटर व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPT KIT) भेजेगा। ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य मंत्री ग्रेग हंट ने संघीय सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि वह मदद के लिए क्या भेज सकते हैं। हंटर ने कहा कि भारत वास्तव में ऑक्सीजन की समस्या से जूझ रहा है हम ऑक्सीजन चिकित्सा भंडार से मदद कर सकते हैं। जर्मनी ने तत्काल में 23 ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट  हवाई मार्ग से लाने का फैसला हो चुका है। इनमें से हर प्लांट प्रति मिनट 40 लीटर और प्रति घंटा 2400 लीटर आक्सीजन उत्पादन कर सकता है।

अमेरिका ने भी भारत को आश्वस्त किया कि कोरोना के टीका के लिए उत्पाद जरूरी खास कक्षा संभल को तत्काल पहुंचाएगी। नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि एयर इंडिया ने सोमवार को अपनी न्यूयार्क से दिल्ली में 318  ऑक्सीजन सिलेंडर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंचाई। अमेरिका के कैलिफोर्निया की ओर से भेजी जाने वाली मदद में 275 ऑक्सीजन संक्रेन्द्रक , 440 ऑक्सीजन सिलेंडर, 240 ऑक्सीजन रेगुलेटर, 210 पल्स ऑक्सीमीटर और एक डेप्लॉयबल ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर सिस्टम (COCS) शामिल हैजो प्रति मिनट 120 लीटर ऑक्सीजन पैदा करने की क्षमता रखता है इसका इस्तेमाल आम तौर पर बड़े सिलेंडर भरने के लिये होता है

 

रविवार, 25 अप्रैल 2021

सऊदी अरब के स्कूल पाठ्यक्रम में हिन्दू संस्कृति रामायण और गीता , विजन 2030


 

भारत में इस्लाम का आगमन 710  काल में हुआ जब सऊदी अरब के उस समय के अरब सम्राराज्य खलीफा उमय्यद इस्लामिक ख़िलाफत के एक अरब सिपहसालार मो बिन कासिम जिसे मीर कासिम भी कहते थे सिन्घ पर कब्जा कर इस्लाम की शुरुवात किया था। मो बिन कासिम मात्र 17 साल की उम्र में 6000 सीरियाई सैनिकों के साथ ईरान के मरकान शहर की जीत कर नावों के द्वारा से सिंध के कराची (1947 में भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान में है) के देबल बंदरगाह से आर्यों के भूमि पर इस्लाम का हरा झंडा फहराया।

भारत के पश्चिमी इलाकों पर हमला कर जितने रास्ते में नगर गाँव पड़े सभी को धन और स्त्री को लुटता गया, हिन्दू स्त्रियों के साथ बलात्कार, मंदिरों को तोडा गया, नागरिकों की हत्या जिन्होंने इस्लाम स्वीकार नहीं करते और सिन्धु नदी के साथ लगे सिंध और पंजाब के क्षेत्रों पर क़ब्जा कर लिया। सिन्धु नदी के पार रोहड़ी (रावर के युद्ध) में सिंध के राजा राजा दाहिर सेन के साथ मो बिन कासिम का युद्ध हुआ। यह युद्ध भारतीय इतिहास में काले अध्याय में लिखा गया हैराजा दाहिर सेन ने निकट के राजाओं से सैनिक सहायता मांगी की भारत पर फिर विदेशी आक्रान्ता का हमला हो रहा है, लेकिन किसी भी राजाओं ने मदद नहीं किया। राजा दाहिर सेन ने मो बिन कासिम के साथ युद्ध किया और बुरी तरह परास्त किया। मो बिन कासिम ने युद्ध स्थल पर राजा दाहिर सेन की हत्या कर दिया। दाहिर सेन के सगे-सम्बन्धियों को दास बनाकर हज्जाज के पास भेज दिया गया। 

यहाँ से मुहम्मद बिन क़ासिम ने सौराष्ट्र की तरफ दस्ते भेजे लेकिन अन्य राजाओं के साथ संधि हो गई। मो बिन कासिम ने भारतीय राजाओं को ख़त लिखा की वे सभी इस्लाम अपना लें और आत्म-समर्पण कर दें। उसने कन्नौज की तरफ 10,000 सैनिकों की सेना भेजी लेकिन राजा दाहिर सेन की दो बेटियों ने राजनीति खेल कर दिया। अपने पिता की हत्या का बदला उस समय के खलीफा से शिकायत कर के किया मो बिन कासिम ने राजा दाहिर सेन की बेटियों को सूर्या और परिमला को तोहफा बनाकर अरब के ख़लीफा के पास भेजा था। जब ख़लीफा उनके पास आया तो उन्होंने अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए कहा कि- मुहम्मद बिन क़ासिम पहले ही उनकी इज्जत लूट चूका है और अब अपने ख़लीफा के पास भेजा है। इस बात पर ख़लीफा गुस्से में मुहम्मद बिन क़ासिम को बैल की चमड़ी में लपेटकर वापस दमिश्क़ (उस समय राजधानी थी) मंगवाया और उसी चमड़ी में बंद होकर दम घुटने से मो बिन कासिम मर गया। जब ख़लीफा को पता चला तो दोनों बहनों ने चाकुओं से एक दुसरे को मारकर वीरगति को प्राप्त हो गए। इसके बाद इस्लामिक आंधी ने पुरे भारतवर्ष में लगभग 10 करोड़ हिन्दुओं की हत्या, मंदिरों को नष्ट किया गया तथा धर्मातरण का खेल अब भी चल रहा है। (अरबी में लिखा चचनामा में उल्लेखित)  

सऊदी सरकार का विजन 2030

भारत में जब सऊदी के ट्विट्टर यूजर्स ने नूफ़-अल-मारवाई (Nouf-al-Marwai ) नामक ट्विटर यूजर द्वारा एक स्क्रीनशॉट साझा करके यह बताया गया है कि "सऊदी अरब का नया विज़न -2030 और सिलेबस ऐसा भविष्य बनाने में मदद करेगा जो समावेशी, उदार और सहिष्णु हो।नूफ़-अल-मारवाई ने अपने बेटे के पाठ्यक्रम का एक स्क्रीनशॉट भी साझा किया जिसमें भारतीय संस्कृतियों की एक विस्तृत श्रृंखला थी। उन्होंने आगे अपने ट्वीट में जोड़ा, "आज मेरे बेटे की स्कूल परीक्षा सोशल स्टडीज का स्क्रीनशॉट, जिसमें हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, रामायण, कर्म, महाभारत और इतिहास शामिल हैं, मुझे उसके अध्ययन से मदद मिली।



सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने सऊदी अरब के लिए नई शिक्षा प्रणाली विज़न -2030 जारी की है। सऊदी अरब ने छात्रों के नये पाठ्य पुस्तक में रामायण और महाभारत को शामिल कर लिया है। अब स्कूल के छात्रों को अन्य किताबों के साथ रामायण, महाभारत व भागवत गीता की शिक्षा भी दी जाएगी। अब क्लास रूम सऊदी अरब के छात्रों को गीता का ज्ञान दिया जाएगा और भारतीय संस्कृति योग और आयुवेद तथा हिन्दू जीवन पद्धति की  जानकारी दिया जाएगा। सऊदी अरब सरकार द्वारा जारी नये पाठ्यक्रम में रामायण और महाभारत के साथ हिंदू धर्म के बारे में भी शिक्षा दी जाएगी। जिसमें रामायण महाभारत के साथ हिंदू सभ्यता को पाठ्यक्रम में शामिल किया है। कई मुस्लिम देश द्वारा पाठ्यक्रम में अपनाई जा रही इस विविधता को लेकर काफी तारीफ भी हो रही है



भारत से बाहर भी रामायण लोकप्रिय

श्रीलंका और बर्मा में रामायण कई रूपों में प्रचलित है लोकगीतों के अतिरिक्त रामलीला की तरह के नाटक भी खेल जाते हैं। बर्मा में बहुत से नाम रामके नाम पर हैं। यहां का रामवती नगर तो राम नाम के ऊपर ही स्थापित हुआ था। मलयेशिया में रामकथा का प्रचार अभी तक है। वहां मुस्लिम भी अपने नाम के साथ अक्सर राम-लक्ष्मण और सीता जोड़ते हैं। यहां रामायण को हिकायत सेरीरामकहते हैं। थाईलैंड के पुराने रजवाड़ों में भरत की भांति राम की पादुकाएं लेकर राज करने की परंपरा है। वे सभी अपने को रामवंशी मानते थे।



यहां अजुधिया, लवपुरी और जनकपुर जैसे नाम वाले शहर हैं। यहां पर रामकथा को रामकीरत कहते हैं और मंदिरों में जगह-जगह रामकथा के प्रसंग अंकित हैं। कंबोडिया में हिंदू सभ्यता के अन्य अंगों के साथ-साथ रामायण का प्रचलन आज भी है छठी शताब्दी के एक शिलालेख के अनुसार, वहां कई स्थानों पर रामायण महाभारत का पाठ होता था। जावा में रामायण के कई प्रसंगों के आधार पर वहां आज भी रातभर कठपुतली नाच होता है। इन देशों के अतिरिक्त फिलीपिंस, चीन, जापान और अमेरिका तक रामकथा का प्रभाव देखने को मिलता है।

भारत के राष्ट्रपति मा . कोविद ने पद्म सी से सम्मानित नूफ़-अल-मारवाई (Nouf-al-Marwai ) किये है 
सऊदी अरब में योग की शिक्षक है इन्होने योग को अपनाकर सउदी अरब में लोगों को सीखती है और प्रचार प्रसार भी करती भारत सरकार द्वारा 
इनके अरबी देशों में योग के प्रचार प्रसार के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया है  


शनिवार, 24 अप्रैल 2021

अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए भारत सरकार की युद्ध स्तर की तैयारी

 



कोरोना वायरस के महामारी  संकट के बीच देश में ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकार अन्य संगठन ने युद्ध स्तर पर काम कर रही है देश के नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार, राज्य सरकारें, स्वास्थ्य मंत्रालय, रेलवे विभाग, सेना, एयरफोर्स, पुलिस विभाग दिन रात लोगों की सांसे बचाने के लिए काम कर रहे है भारत सरकार विदेशों से ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट मंगवाने जा रही है पीएम केयर्स फंड से देश के विभिन्न राज्यों के जिला स्वास्थ्य केंद्रों में 551 पीएसए चिकित्सीय ऑक्सिजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना की जाएगी। ये प्लांट हर घंटे करीब 2400 लीटर ऑक्सीजन तक बना सकते हैं इन्हें लाने का कार्य रक्षा मंत्रालय ने उठाया है। आक्सीजन को लेकर जाने के लिए सिंगापुर और UAE से उच्च क्षमता वाले आक्सीजन टैंकर  मंगाने जा रहा है अस्पतालों तक आक्सीजन समय पर पहुचे भारत सरकार ने भारतीय रेलवे को ग्रीन कोरीडोर बनाकर तेज गति से आक्सीजन टैकर व्यवस्था बनी गई है। स्थानीय आक्सीजन वितरण के लिए लोकल पुलिस अन्य अस्पताल में लेकर जाने के लिए व्यवस्था बनाई गयी है 


देश में हालात संभालने के लिए अब केंद्र सरकार ने एक नया फैसला किया है जिसके तहत अब केंद्र सरकार, सिंगापुर और UAE से उच्च क्षमता वाले आक्सीजन टैंकर  मंगाने जा रही हैसिंगापुर से पश्चिम बंगाल के पनागर एयरबेस में चार क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनर भारत में आ चुके हैं। आज सुबह सिंगापुर के चांगी हवाई अड्डे से एक IAF C-17 विमान में कंटेनरों को एयरलिफ्ट किया गया था। देश भर में COVID-19 की दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी की खबरों के बीच, चार क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनरों को वायु सेना के परिवहन विमान के माध्यम से सिंगापुर से भारत लाया गया है। भारत में सिंगापुर दूतावास ने ट्वीट किया था कि 'हम कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ खड़े हैं। भारत ने आज सुबह सिंगापुर के चांगी हवाई अड्डे पर 4 क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनर उठाए।'



इससे पहले जर्मनी से 23 ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट  हवाई मार्ग से लाने का फैसला हो चुका हैइनमें से हर प्लांट प्रति मिनट 40 लीटर और प्रति घंटा 2400 लीटर आक्सीजन उत्पादन कर सकता है। मंत्रालय ने यह निर्णय ऐसे समय में किया है, जब देश में कोरोना वायरस संक्रमण तेजी से बढ़ा है और कई राज्य ऑक्सीजन की कमी का सामना कर रहे हैं, उन्हें ऑक्सीजन से राहत मिलेगा कोरोना से पीड़ित रोगियों की जान बचाई जा सकेगा 



देश में ऑक्सीजन की उपलब्धता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को उच्च स्तरीय बैठक की और राजस्व विभाग का निर्देशित किया कि वैक्सीन, ऑक्सीजन और ऑक्सीजन से जुड़े उपकरणों के आयात पर बेसिक कस्टम ड्यूटी और हेल्थ सेस को तत्काल प्रभाव से अगले तीन महीनों के लिए पूरी तरह हटा दिया जाए। प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा कि अस्पतालों में मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन की सप्लाई में वृद्धि की तत्काल आवश्यकता है और साथ ही घर और अस्पताल में मरीजों की जरूरतों को पूरा करने के लिए ऑक्सीजन से जुड़े उपकरणों की भी बेहद आवश्यकता है

केंद्र सरकार के अनुसार देश में प्रतिदिन 7127 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का प्रोडक्शन किया जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऑक्सीजन प्रोडक्शन के लिए नए प्लांट लगाने में डेढ़-दो साल लग जाएंगे। खर्च भी काफी आएगा। इस बीच गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यों को उत्पादन बढ़ाने के लिए बंद पड़ी ऑक्सीजन इकाइयों (Oxygen Units) को दोबारा शुरू करने के निर्देश दिए हैंताकि जल्द से जल्द देश में ऑक्सीजन संकट पूरी तरह दूर हो सके वहीं किसी भी मरीज की जान ऑक्सीजन की कमी की वजह से न जाए

केंद्र ने इसके लिए कई स्तर पर प्रयास तेज कर दिए हैं। भारतीय रेलवे ने मेडिकल ऑक्सीजन ले जाने के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेसनामक ट्रेन चलाने की योजना बनाई है। इसके लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं ताकि ट्रेन बिना किसी रुकावट के जल्द से जल्द मंजिल तक पहुंच सके। 19 अप्रैल को महाराष्ट्र से खाली टैंकर लेकर विशेष ट्रेनें विशाखापट्टनम, बोकारो और राउरकेला गईं, जहां से इनमें लिक्विड ऑक्सीजन भरा गया। इसके लिए विशाखापट्टनम, अंगुल और भिलाई में विशेष रैम्प बन रहे हैं ताकि ऑक्सीजन टैंकरों को रेलवे के फ्लैट डिब्बों पर चढ़ाया जा सके।

केंद्र की तरफ से सबसे अधिक प्रभावित 12 राज्यों को 6,177 मीट्रिक टन ऑक्सीजन प्रदान की जाएगी। इन राज्यों में ऑक्सीजन की और जरूरत पड़ सकती है। केंद्र की योजना है कि 30 अप्रैल तक इन 12 राज्यों को 17 हजार टन से अधिक ऑक्सीजन सप्लाई की जाए। इनमें महाराष्ट्र, दिल्ली, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान शामिल हैं।

देश के बड़े उघोगो ने अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता के तहत अस्पतालों को आक्सीजन भेज रही है -

1 . रिलायस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने कोविड से बुरी तरह जूझ रहे महाराष्ट्र को 100 टन ऑक्सीजन मुफ्त देने का वादा किया है। इसके अलावा मध्य प्रदेश के इंदौर को 60 टन ऑक्सीजन भेजी गई है। यह ऑक्सीजन रिलायंस की जामनगर रिफाइनरी से भेजी जा रही है।

2 . टाटा ग्रुप की स्टील कंपनी टाटा स्टील ने रविवार को कहा कि देश की आवश्यकता को देखते हुए हमने ऑक्सीजन की सप्लाई शुरू कर दी है। कंपनी ने कहा कि हम रोजाना 200-300 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई कर रहे हैं। 

3 . आर्सेलरमित्तल निप्पोन स्टील इंडिया (AMNS इंडिया) ने कहा है कि वह रोजाना 200 टन मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई कर रही है। यह ऑक्सीजन गुजरात की हेल्थ एजेंसियों को दी जा रही है। 

4 . स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) ने अपने 5 स्टील प्लांट्स से 35 हजार टन 99.7% प्योर लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई की है। सेल ने पिछले पांच दिनों में हर दिन 600 टन के हिसाब से लिक्विड ऑक्सीजन उपलब्ध कराई है। यह भारत में उद्योग से आई सबसे बड़ी मात्रा है।

मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई चैन -

मेडिकल ऑक्सीजन को विशेष टैंकरों ( क्रायोजेनिक ऑक्सीजन ) में निश्चित तापमान पर एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता है। प्रोडक्शन के बाद इस ऑक्सीजन को लिक्विड फार्म में टैंकरों में भरा जाता है। इंडस्ट्रीय से राज्यों को टैंकर से ऑक्सीजन सप्लाई की जाती है। इसका सीधा-सीधा मतलब है कि दूरी जितनी ज्यादा होगी, टैंकर को पहुंचने और वापस प्लांट में लौटने में उतना ज्यादा समय लगेगा। 

राज्यों के वितरण केंद्र पर पहुँचता है यहाँ से अस्पताल के लिए पहले इस लिक्विड ऑक्सीजन को फिर से गैस में बदला जाता है। पूरी प्रक्रिया के बाद इसे जंबो और ड्यूरा सिलेंडर में भरा जाता है अचानक कोरोना के रोगियों के बढ़ने के कारण आक्सीजन सिलेंडर की भी कमी हो गई। छोटे नर्सिंग होम या अस्पताल जिन्हें कोविड सेंटर में बदल दिया गया है, वहां ऑक्सीजन को स्टोर करने के लिए जरूरी संसाधन नहीं है। इस वजह से ये सेंटर टैंकरों से ऑक्सीजन की डेली सप्लाई पर निर्भर हैं।

केंद्र सरकार के अनुसार देश में अभी प्रतिदिन 7127 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का प्रोडक्शन किया जा सकता है। पीएम केयर्स फंड से देश के विभिन्न राज्यों के जिला स्वास्थ्य केंद्रों में 551 पीएसए चिकित्सीय ऑक्सिजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना की जाएगी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने  पीएम केयर्स फंड ने इन संयंत्रों की स्थापना के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी है। ये प्लांट हर घंटे करीब 2400 लीटर ऑक्सीजन तक बना सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऑक्सीजन प्रोडक्शन के लिए नए प्लांट लगाने में डेढ़-दो साल लग जाएंगे।