रविवार, 25 अप्रैल 2021

सऊदी अरब के स्कूल पाठ्यक्रम में हिन्दू संस्कृति रामायण और गीता , विजन 2030


 

भारत में इस्लाम का आगमन 710  काल में हुआ जब सऊदी अरब के उस समय के अरब सम्राराज्य खलीफा उमय्यद इस्लामिक ख़िलाफत के एक अरब सिपहसालार मो बिन कासिम जिसे मीर कासिम भी कहते थे सिन्घ पर कब्जा कर इस्लाम की शुरुवात किया था। मो बिन कासिम मात्र 17 साल की उम्र में 6000 सीरियाई सैनिकों के साथ ईरान के मरकान शहर की जीत कर नावों के द्वारा से सिंध के कराची (1947 में भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान में है) के देबल बंदरगाह से आर्यों के भूमि पर इस्लाम का हरा झंडा फहराया।

भारत के पश्चिमी इलाकों पर हमला कर जितने रास्ते में नगर गाँव पड़े सभी को धन और स्त्री को लुटता गया, हिन्दू स्त्रियों के साथ बलात्कार, मंदिरों को तोडा गया, नागरिकों की हत्या जिन्होंने इस्लाम स्वीकार नहीं करते और सिन्धु नदी के साथ लगे सिंध और पंजाब के क्षेत्रों पर क़ब्जा कर लिया। सिन्धु नदी के पार रोहड़ी (रावर के युद्ध) में सिंध के राजा राजा दाहिर सेन के साथ मो बिन कासिम का युद्ध हुआ। यह युद्ध भारतीय इतिहास में काले अध्याय में लिखा गया हैराजा दाहिर सेन ने निकट के राजाओं से सैनिक सहायता मांगी की भारत पर फिर विदेशी आक्रान्ता का हमला हो रहा है, लेकिन किसी भी राजाओं ने मदद नहीं किया। राजा दाहिर सेन ने मो बिन कासिम के साथ युद्ध किया और बुरी तरह परास्त किया। मो बिन कासिम ने युद्ध स्थल पर राजा दाहिर सेन की हत्या कर दिया। दाहिर सेन के सगे-सम्बन्धियों को दास बनाकर हज्जाज के पास भेज दिया गया। 

यहाँ से मुहम्मद बिन क़ासिम ने सौराष्ट्र की तरफ दस्ते भेजे लेकिन अन्य राजाओं के साथ संधि हो गई। मो बिन कासिम ने भारतीय राजाओं को ख़त लिखा की वे सभी इस्लाम अपना लें और आत्म-समर्पण कर दें। उसने कन्नौज की तरफ 10,000 सैनिकों की सेना भेजी लेकिन राजा दाहिर सेन की दो बेटियों ने राजनीति खेल कर दिया। अपने पिता की हत्या का बदला उस समय के खलीफा से शिकायत कर के किया मो बिन कासिम ने राजा दाहिर सेन की बेटियों को सूर्या और परिमला को तोहफा बनाकर अरब के ख़लीफा के पास भेजा था। जब ख़लीफा उनके पास आया तो उन्होंने अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए कहा कि- मुहम्मद बिन क़ासिम पहले ही उनकी इज्जत लूट चूका है और अब अपने ख़लीफा के पास भेजा है। इस बात पर ख़लीफा गुस्से में मुहम्मद बिन क़ासिम को बैल की चमड़ी में लपेटकर वापस दमिश्क़ (उस समय राजधानी थी) मंगवाया और उसी चमड़ी में बंद होकर दम घुटने से मो बिन कासिम मर गया। जब ख़लीफा को पता चला तो दोनों बहनों ने चाकुओं से एक दुसरे को मारकर वीरगति को प्राप्त हो गए। इसके बाद इस्लामिक आंधी ने पुरे भारतवर्ष में लगभग 10 करोड़ हिन्दुओं की हत्या, मंदिरों को नष्ट किया गया तथा धर्मातरण का खेल अब भी चल रहा है। (अरबी में लिखा चचनामा में उल्लेखित)  

सऊदी सरकार का विजन 2030

भारत में जब सऊदी के ट्विट्टर यूजर्स ने नूफ़-अल-मारवाई (Nouf-al-Marwai ) नामक ट्विटर यूजर द्वारा एक स्क्रीनशॉट साझा करके यह बताया गया है कि "सऊदी अरब का नया विज़न -2030 और सिलेबस ऐसा भविष्य बनाने में मदद करेगा जो समावेशी, उदार और सहिष्णु हो।नूफ़-अल-मारवाई ने अपने बेटे के पाठ्यक्रम का एक स्क्रीनशॉट भी साझा किया जिसमें भारतीय संस्कृतियों की एक विस्तृत श्रृंखला थी। उन्होंने आगे अपने ट्वीट में जोड़ा, "आज मेरे बेटे की स्कूल परीक्षा सोशल स्टडीज का स्क्रीनशॉट, जिसमें हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, रामायण, कर्म, महाभारत और इतिहास शामिल हैं, मुझे उसके अध्ययन से मदद मिली।



सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने सऊदी अरब के लिए नई शिक्षा प्रणाली विज़न -2030 जारी की है। सऊदी अरब ने छात्रों के नये पाठ्य पुस्तक में रामायण और महाभारत को शामिल कर लिया है। अब स्कूल के छात्रों को अन्य किताबों के साथ रामायण, महाभारत व भागवत गीता की शिक्षा भी दी जाएगी। अब क्लास रूम सऊदी अरब के छात्रों को गीता का ज्ञान दिया जाएगा और भारतीय संस्कृति योग और आयुवेद तथा हिन्दू जीवन पद्धति की  जानकारी दिया जाएगा। सऊदी अरब सरकार द्वारा जारी नये पाठ्यक्रम में रामायण और महाभारत के साथ हिंदू धर्म के बारे में भी शिक्षा दी जाएगी। जिसमें रामायण महाभारत के साथ हिंदू सभ्यता को पाठ्यक्रम में शामिल किया है। कई मुस्लिम देश द्वारा पाठ्यक्रम में अपनाई जा रही इस विविधता को लेकर काफी तारीफ भी हो रही है



भारत से बाहर भी रामायण लोकप्रिय

श्रीलंका और बर्मा में रामायण कई रूपों में प्रचलित है लोकगीतों के अतिरिक्त रामलीला की तरह के नाटक भी खेल जाते हैं। बर्मा में बहुत से नाम रामके नाम पर हैं। यहां का रामवती नगर तो राम नाम के ऊपर ही स्थापित हुआ था। मलयेशिया में रामकथा का प्रचार अभी तक है। वहां मुस्लिम भी अपने नाम के साथ अक्सर राम-लक्ष्मण और सीता जोड़ते हैं। यहां रामायण को हिकायत सेरीरामकहते हैं। थाईलैंड के पुराने रजवाड़ों में भरत की भांति राम की पादुकाएं लेकर राज करने की परंपरा है। वे सभी अपने को रामवंशी मानते थे।



यहां अजुधिया, लवपुरी और जनकपुर जैसे नाम वाले शहर हैं। यहां पर रामकथा को रामकीरत कहते हैं और मंदिरों में जगह-जगह रामकथा के प्रसंग अंकित हैं। कंबोडिया में हिंदू सभ्यता के अन्य अंगों के साथ-साथ रामायण का प्रचलन आज भी है छठी शताब्दी के एक शिलालेख के अनुसार, वहां कई स्थानों पर रामायण महाभारत का पाठ होता था। जावा में रामायण के कई प्रसंगों के आधार पर वहां आज भी रातभर कठपुतली नाच होता है। इन देशों के अतिरिक्त फिलीपिंस, चीन, जापान और अमेरिका तक रामकथा का प्रभाव देखने को मिलता है।

भारत के राष्ट्रपति मा . कोविद ने पद्म सी से सम्मानित नूफ़-अल-मारवाई (Nouf-al-Marwai ) किये है 
सऊदी अरब में योग की शिक्षक है इन्होने योग को अपनाकर सउदी अरब में लोगों को सीखती है और प्रचार प्रसार भी करती भारत सरकार द्वारा 
इनके अरबी देशों में योग के प्रचार प्रसार के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया है  


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