शुक्रवार, 9 अप्रैल 2021

ज्ञानवापी मंदिर


आज 9 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने हिन्दुओं के पवित्र मंदिरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया। सुबह वाराणसी के घाट पर 9 अप्रैल को सूर्य ग्रहण का था। ग्रहण के दौरान काशी में गंगा में स्नान कर पास में स्थित विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए काफी संख्या में हिंदू इकट्ठा हुए थे। तभी अचानक आसपास हंगामा होने लगा मुगलों की सेना मंदिर को चारों तरफ घेर लिया और मंदिर के अंदर प्रवेश करें। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक सबसे पवित्र मंदिर बाबा विश्वनाथ के मंदिर में घुसकर मंदिर के अंदर स्थित मूर्तियों यदि को तोड़फोड़ करने लगी और  बाबा विश्वनाथ के मंदिर को तोड़कर मस्जिद खड़ा कर दिया गया 

प्राचीन काल में वाराणसी को काशी के रूप में जाना जाता है और इसलिए इस मंदिर को काशी विश्वनाथ मंदिर के रूप में जाना जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर को भगवान् शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। ज्योतिर्लिंग को सर्वोच्च भगवान शिव का प्रतिनिधित्व माना जाता है जिसका अर्थ है परम सर्वशक्तिमान की उज्ज्वल छवि। मुख्य देवता को श्री विश्वनाथ और विश्वेश्वर के नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ है ब्रह्मांड के भगवान। भगवान शिव कैलाश पर्यवत के बाद यहाँ ही निवास करते हैं और मुक्ति और सुख के दाता हैं। हिन्दुओं में मान्यता यह है कि काशी विश्वनाथ मंदिर और पवित्र गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। जो लोग मंदिर में स्वाभाविक रूप से मृत्यु को प्रापत करते हैं, वे परम धाम का सुख प्रापत होता हैं। स्वयं भगवान शिव उनके कान में मोक्ष का मंत्र फूँकते हैं।

विश्वनाथ मंदिर गंगा नदी के तट पर वाराणसी की भीड़ भरी गलियों के भीतर स्थित है। मंदिर में विश्वनाथ लेन नाम की एक गली से पहुँचा जा सकता है। यहाँ एक छोटा कुआँ भी है, जिसे ज्ञान वापी (ज्ञान वापी) के नाम से जाना जाता है, मंदिर परिसर के बीच में ज्ञान कुआँ है। विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को आक्रमणकारियों से बचाने के लिए इस कुएं में छिपा पाया गया था। इस मंदिर का मुख्य पुजारी इसे छिपाने के लिए शिवलिंग के साथ कुएं में कूद गए थे। इस मंदिर की पूरी संरचना के कुल तीन भाग हैं। पहले में भगवान विश्वनाथ यानि महादेव के मंदिर पर एक शिखर शामिल है। दूसरा सोने का गुंबद है और तीसरा सोने का शिखर है। तीसरा सबसे ऊपर भगवान विश्वनाथ का ध्वज और त्रिशूल है। काशी विश्वनाथ मंदिर इसलिए स्वर्ण मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है।

काशी विश्वनाथ मंदिर को कई बार नष्ट और पुनर्निर्मित किया गया है। मंदिर का निर्माण 1490 में हुआ था। काशी विश्वनाथ का प्रारंभिक ज्योतिर्लिंग नहीं मिला था। मूल विश्वनाथ मंदिर को मुगल मोहम्मद गोरी के आदेश पर कुतुबूद-दीन ऐबक की सेना ने नष्ट कर दिया था।

ऐतिहासिक अभिलेखों में कहा गया है कि मंदिर को कई शताब्दियों तक विभिन्न शासकों द्वारा फिर से बनाया गया। मुगलों ने मंदिर को बार-बार लूटा। यद्यपि मुगल सम्राट अकबर ने मूल मंदिर बनाने की अनुमति दी थी, लेकिन उसके पोते औरंगजेब ने 17 वीं शताब्दी में मंदिर को नष्ट कर दिया। अकबर के पोते ने फिर से वहां ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण किया। मूल मंदिर के अवशेषों को मस्जिद के ठीक पीछे देखा जा सकता है।

पुणे में मराठाओं के बीच में से शिवाजी नाम का युवा राजा का उदय हुआ तभी बनारस के पंडितों ने पुणे जाकर हिन्दुओं की रक्षा के लिए शिवाजी राजा का राज्याभिषेक किया जिसके बाद मराठा सामाज्य का राज्य शुरू हुआ छत्रपति शिवाजी महाराजे का राज्याभिषेक के बाद स्थिति बदलना शुरू हुआ तब जाकर हिन्दुओं को लगाने लगा अब हिन्दवी स्वराज्य का पुन: उदय होगा 1777 इंदौर की रानी, ​​रानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा मस्जिद से सटे वर्तमान ढांचे का निर्माण किया गया था। ऐसा माना जाता है कि रानी के सपनों में भगवान शिव प्रकट हुए थे। महाराजा रणजीत सिंह ने 1000 किलो के स्वर्ण शुद्ध होने से बनाया गया 

8 अप्रेल 2021 को उत्तरप्रदेश के  वाराणसी की सिविल कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व विभाग को काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद के विवादित स्थल पर सर्वेक्षण कराने की मंजूरी दी है। वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट आशुतोष तिवारी की अदालत ने प्राचीन मूर्ति स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी के वर्ष 1991 से लंबित इस प्राचीन मुकदमे आवेदन को स्वीकार कर लिया।

याचिका में कहा गया कि मौजा शहर खास स्थित ज्ञानवापी परिसर के आराजी नंबर 9130, 9131, 9132 रकबा एक बीघे नौ बिस्वा जमीन का पुरातात्विक सर्वेक्षण रडार तकनीक से करके यह बताया जाए कि जो जमीन है, वह मंदिर का अवशेष है या नहीं। साथ ही विवादित ढांचे का फर्श तोड़कर देखा जाए कि 100 फीट ऊंचा ज्योतिर्लिंग स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ वहां मौजूद हैं या नहीं। दीवारें प्राचीन मंदिर की हैं या नहीं। याचिकाकर्ता का दावा था कि काशी विश्वनाथ मंदिर के अवशेषों से ही ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हुआ था। जिसमें उन्होंने मांग की थी कि मस्जिद, ज्योतिसिर्लिंग विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है। जहां हिंदू आस्थावानों को पूजा-पाठ, दर्शन और मरम्मत का अधिकार है। कोर्ट से ये मांग स्वयंभू ज्योतिर्लिंग विश्वेश्वर के पक्षकार पंडित सोमनाथ व्यास ने किया था। याचिकाकर्ता का दावा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण 2050 साल पहले महाराज विक्रमादित्य ने करवाया था, लेकिन मुगल सम्राट औरंगजेब ने साल 1664 में मंदिर को नष्ट करा दिया था। पूरे मामले में वादी के तौर पर स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर काशी विश्वनाथ और दूसरा पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड हैं।

 


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