शनिवार, 24 अप्रैल 2021

अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए भारत सरकार की युद्ध स्तर की तैयारी

 



कोरोना वायरस के महामारी  संकट के बीच देश में ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए भारत सरकार और राज्य सरकार अन्य संगठन ने युद्ध स्तर पर काम कर रही है देश के नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार, राज्य सरकारें, स्वास्थ्य मंत्रालय, रेलवे विभाग, सेना, एयरफोर्स, पुलिस विभाग दिन रात लोगों की सांसे बचाने के लिए काम कर रहे है भारत सरकार विदेशों से ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट मंगवाने जा रही है पीएम केयर्स फंड से देश के विभिन्न राज्यों के जिला स्वास्थ्य केंद्रों में 551 पीएसए चिकित्सीय ऑक्सिजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना की जाएगी। ये प्लांट हर घंटे करीब 2400 लीटर ऑक्सीजन तक बना सकते हैं इन्हें लाने का कार्य रक्षा मंत्रालय ने उठाया है। आक्सीजन को लेकर जाने के लिए सिंगापुर और UAE से उच्च क्षमता वाले आक्सीजन टैंकर  मंगाने जा रहा है अस्पतालों तक आक्सीजन समय पर पहुचे भारत सरकार ने भारतीय रेलवे को ग्रीन कोरीडोर बनाकर तेज गति से आक्सीजन टैकर व्यवस्था बनी गई है। स्थानीय आक्सीजन वितरण के लिए लोकल पुलिस अन्य अस्पताल में लेकर जाने के लिए व्यवस्था बनाई गयी है 


देश में हालात संभालने के लिए अब केंद्र सरकार ने एक नया फैसला किया है जिसके तहत अब केंद्र सरकार, सिंगापुर और UAE से उच्च क्षमता वाले आक्सीजन टैंकर  मंगाने जा रही हैसिंगापुर से पश्चिम बंगाल के पनागर एयरबेस में चार क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनर भारत में आ चुके हैं। आज सुबह सिंगापुर के चांगी हवाई अड्डे से एक IAF C-17 विमान में कंटेनरों को एयरलिफ्ट किया गया था। देश भर में COVID-19 की दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी की खबरों के बीच, चार क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनरों को वायु सेना के परिवहन विमान के माध्यम से सिंगापुर से भारत लाया गया है। भारत में सिंगापुर दूतावास ने ट्वीट किया था कि 'हम कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ खड़े हैं। भारत ने आज सुबह सिंगापुर के चांगी हवाई अड्डे पर 4 क्रायोजेनिक ऑक्सीजन कंटेनर उठाए।'



इससे पहले जर्मनी से 23 ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट  हवाई मार्ग से लाने का फैसला हो चुका हैइनमें से हर प्लांट प्रति मिनट 40 लीटर और प्रति घंटा 2400 लीटर आक्सीजन उत्पादन कर सकता है। मंत्रालय ने यह निर्णय ऐसे समय में किया है, जब देश में कोरोना वायरस संक्रमण तेजी से बढ़ा है और कई राज्य ऑक्सीजन की कमी का सामना कर रहे हैं, उन्हें ऑक्सीजन से राहत मिलेगा कोरोना से पीड़ित रोगियों की जान बचाई जा सकेगा 



देश में ऑक्सीजन की उपलब्धता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को उच्च स्तरीय बैठक की और राजस्व विभाग का निर्देशित किया कि वैक्सीन, ऑक्सीजन और ऑक्सीजन से जुड़े उपकरणों के आयात पर बेसिक कस्टम ड्यूटी और हेल्थ सेस को तत्काल प्रभाव से अगले तीन महीनों के लिए पूरी तरह हटा दिया जाए। प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा कि अस्पतालों में मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन की सप्लाई में वृद्धि की तत्काल आवश्यकता है और साथ ही घर और अस्पताल में मरीजों की जरूरतों को पूरा करने के लिए ऑक्सीजन से जुड़े उपकरणों की भी बेहद आवश्यकता है

केंद्र सरकार के अनुसार देश में प्रतिदिन 7127 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का प्रोडक्शन किया जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऑक्सीजन प्रोडक्शन के लिए नए प्लांट लगाने में डेढ़-दो साल लग जाएंगे। खर्च भी काफी आएगा। इस बीच गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यों को उत्पादन बढ़ाने के लिए बंद पड़ी ऑक्सीजन इकाइयों (Oxygen Units) को दोबारा शुरू करने के निर्देश दिए हैंताकि जल्द से जल्द देश में ऑक्सीजन संकट पूरी तरह दूर हो सके वहीं किसी भी मरीज की जान ऑक्सीजन की कमी की वजह से न जाए

केंद्र ने इसके लिए कई स्तर पर प्रयास तेज कर दिए हैं। भारतीय रेलवे ने मेडिकल ऑक्सीजन ले जाने के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेसनामक ट्रेन चलाने की योजना बनाई है। इसके लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं ताकि ट्रेन बिना किसी रुकावट के जल्द से जल्द मंजिल तक पहुंच सके। 19 अप्रैल को महाराष्ट्र से खाली टैंकर लेकर विशेष ट्रेनें विशाखापट्टनम, बोकारो और राउरकेला गईं, जहां से इनमें लिक्विड ऑक्सीजन भरा गया। इसके लिए विशाखापट्टनम, अंगुल और भिलाई में विशेष रैम्प बन रहे हैं ताकि ऑक्सीजन टैंकरों को रेलवे के फ्लैट डिब्बों पर चढ़ाया जा सके।

केंद्र की तरफ से सबसे अधिक प्रभावित 12 राज्यों को 6,177 मीट्रिक टन ऑक्सीजन प्रदान की जाएगी। इन राज्यों में ऑक्सीजन की और जरूरत पड़ सकती है। केंद्र की योजना है कि 30 अप्रैल तक इन 12 राज्यों को 17 हजार टन से अधिक ऑक्सीजन सप्लाई की जाए। इनमें महाराष्ट्र, दिल्ली, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान शामिल हैं।

देश के बड़े उघोगो ने अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता के तहत अस्पतालों को आक्सीजन भेज रही है -

1 . रिलायस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने कोविड से बुरी तरह जूझ रहे महाराष्ट्र को 100 टन ऑक्सीजन मुफ्त देने का वादा किया है। इसके अलावा मध्य प्रदेश के इंदौर को 60 टन ऑक्सीजन भेजी गई है। यह ऑक्सीजन रिलायंस की जामनगर रिफाइनरी से भेजी जा रही है।

2 . टाटा ग्रुप की स्टील कंपनी टाटा स्टील ने रविवार को कहा कि देश की आवश्यकता को देखते हुए हमने ऑक्सीजन की सप्लाई शुरू कर दी है। कंपनी ने कहा कि हम रोजाना 200-300 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई कर रहे हैं। 

3 . आर्सेलरमित्तल निप्पोन स्टील इंडिया (AMNS इंडिया) ने कहा है कि वह रोजाना 200 टन मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई कर रही है। यह ऑक्सीजन गुजरात की हेल्थ एजेंसियों को दी जा रही है। 

4 . स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) ने अपने 5 स्टील प्लांट्स से 35 हजार टन 99.7% प्योर लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई की है। सेल ने पिछले पांच दिनों में हर दिन 600 टन के हिसाब से लिक्विड ऑक्सीजन उपलब्ध कराई है। यह भारत में उद्योग से आई सबसे बड़ी मात्रा है।

मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई चैन -

मेडिकल ऑक्सीजन को विशेष टैंकरों ( क्रायोजेनिक ऑक्सीजन ) में निश्चित तापमान पर एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता है। प्रोडक्शन के बाद इस ऑक्सीजन को लिक्विड फार्म में टैंकरों में भरा जाता है। इंडस्ट्रीय से राज्यों को टैंकर से ऑक्सीजन सप्लाई की जाती है। इसका सीधा-सीधा मतलब है कि दूरी जितनी ज्यादा होगी, टैंकर को पहुंचने और वापस प्लांट में लौटने में उतना ज्यादा समय लगेगा। 

राज्यों के वितरण केंद्र पर पहुँचता है यहाँ से अस्पताल के लिए पहले इस लिक्विड ऑक्सीजन को फिर से गैस में बदला जाता है। पूरी प्रक्रिया के बाद इसे जंबो और ड्यूरा सिलेंडर में भरा जाता है अचानक कोरोना के रोगियों के बढ़ने के कारण आक्सीजन सिलेंडर की भी कमी हो गई। छोटे नर्सिंग होम या अस्पताल जिन्हें कोविड सेंटर में बदल दिया गया है, वहां ऑक्सीजन को स्टोर करने के लिए जरूरी संसाधन नहीं है। इस वजह से ये सेंटर टैंकरों से ऑक्सीजन की डेली सप्लाई पर निर्भर हैं।

केंद्र सरकार के अनुसार देश में अभी प्रतिदिन 7127 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का प्रोडक्शन किया जा सकता है। पीएम केयर्स फंड से देश के विभिन्न राज्यों के जिला स्वास्थ्य केंद्रों में 551 पीएसए चिकित्सीय ऑक्सिजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना की जाएगी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने  पीएम केयर्स फंड ने इन संयंत्रों की स्थापना के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी है। ये प्लांट हर घंटे करीब 2400 लीटर ऑक्सीजन तक बना सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऑक्सीजन प्रोडक्शन के लिए नए प्लांट लगाने में डेढ़-दो साल लग जाएंगे। 

 

 

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