शनिवार, 24 जुलाई 2021

24 जुलाई 1991 को 30 वर्ष पूर्व नरसिम्हा राव की सरकार ने नई उदारीकरण अर्थव्यवस्था की शुरुवात किया |

 


1991 लोकसभा चुनाव के बाद जून 1991 में नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री बने। उन्होंने भारत में अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने के लिए वित्त मंंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी मनमोहन सिंह को। इससे पहले मनमोहन सिंह रिजर्व बैंक के गवर्नर रह चुके थे। मनमोहन सिंह को राजनीति में लाने का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को जाता है उस समय अर्थव्यवस्था की हालत खराब थी। 30 साल पहले जो आर्थिक इतिहास रचा गयाउससे देश एक विशाल अर्थव्यवस्था बन गया है नरसिम्हा राव ने वित्त मंत्री के तौर पर मनमोहन सिंह को अर्थव्यस्था में सुधार के लिए बड़े बदलाव करने की छूट दी। वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने आज ही के दिन 1991 में अपना पहला बजट संसद में पेश किया था। 24 जुलाई, 1991 को चूँकि बजट पेश होना थाकिसी सांसद का ध्यान असली सुधार की ओर नहीं गया जिसने नेहरू और इंदिरा गाँधी की औद्योगिक नीति को सिरे से पलट दिया था

चन्द्रशेखर सरकार को राजीव गाँधी ने जासूसी के नाम पर गिरा दिया। तब लोकसभा का चुनाव तय हो गया। इसी आम चुनाव के दुसरे चरण में अचानक पेरुम्बदुर में एक बम विस्फोट द्वारा 21 मई 1991 को राजीव गांधी की हत्या हो गई। ऐसे में सहानुभूति की लहर के कारण कांग्रेस को निश्चय ही लाभ प्राप्त हुआ। इस चुनाव में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं प्राप्त हुआ लेकिन वह सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। कांग्रेस ने 232 सीटों पर विजय प्राप्त की थी। गाँधी परिवार के खास सलाहकार हडसन के सलाह पर सोनिया गाँधी ने पी वी नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री के नाम को कांग्रेस पार्टी में प्रस्तावित किया जिसके बाद नरसिम्हा राव को कांग्रेस संसदीय दल का नेतृत्व प्रदान किया गया। ऐसे में उन्होंने सरकार बनाने का दावा पेश किया। सरकार अल्पमत में थी, लेकिन कांग्रेस ने बहुमत साबित करने के लायक़ सांसद जुटा लिए और कांग्रेस सरकार ने पाँच वर्ष का अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूर्ण किया। इनके प्रधानमंत्री बनने में भाग्य का बहुत बड़ा हाथ रहा है। 

पीवी नरसिंह राव ने देश की कमान काफी मुश्किल समय में संभाली थी। 20 जून, 1991 की शाम कैबिनेट सचिव नरेश चंद्रा नवनियुक्त प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से मिले और बताया कि वास्तव में इससे भी ज़्यादा.खराब है  ,भारत के विदेशी मुद्रा भंडार की हालत ये थी कि वो अगस्त 1990 आते आते सिर्फ़ 3 अरब 11 करोड़ डॉलर रह गया था जनवरी, 1991 में भारत के पास मात्र 89 करोड़ डॉलर की विदेशी मुद्रा रह गई थी  तो भारत के पास दो सप्ताह के आयात के लिए ही विदेशी मुद्रा बची थी 

पी वी नरसिम्हा राव जी दूरदर्शी नेता थे, उनके इरादे भारत को बड़ी और आर्थिक रूप से मजबूत राष्ट्र बनाना था  उन्होंने अपने दोस्त इंदिरा गाँधी के प्रधान सचिव रहे, पी सी अलेक्ज़ेंडर को इशारा किया था कि वो अपने मंत्रिमंडल में एक पेशेवर अर्थशास्त्री को वित्त मंत्री लेना चाहते हैं  उन्होंने रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर मनमोहन सिंह के नाम लिए थे जब मनमोहन सिंह ने नरसिंह राव के सामने एक पेज में बजट का सारांश रखा तो उन्होंने उसे बहुत ध्यान से पढ़ा था. फिर नरसिंह राव ने मनमोहन सिंह की तरफ़ देख कर कहा था, "अगर मैं यही बजट चाहता तो मैंने आपको ही क्यों चुना होता?

उस समय भारत का विदेशी मुद्रा भंडार चिंताजनक स्तर तक कम हो गया था और देश का सोना तक गिरवी रखना पड़ा था। उन्होंने रिजर्व बैंक के अनुभवी गवर्नर डॉ. मनमोहन सिंह को वित्तमंत्री बनाकर देश को आर्थिक भंवर से बाहर निकाला। 

डॉ. मनमोहन सिंह ने 24 जुलाई 1991 को वो ऐतिहासिक बजट पेश किया तो संसद में बहुत शोर-शराबा और हंगामा हुआ कई लोगों ने इसे आईएमएफ़ और वर्ल्ड बैंक के लिए पेश किया गया बजट बतायामनमोहन सिंह ने अपने भाषण का अंत विक्टर ह्यूगो के मशहूर उद्धरण से किया था, "दुनिया की कोई ताकत उस विचार को नहीं रोक सकती जिसका समय आ पहुंचा है दुनिया में भारत का एक बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में उदय एक ऐसा ही विचार है. पूरी दुनिया ये साफ़ तौर पर सुन ले कि भारत जाग चुका है

एक दिन के अंदर राव और मनमोहन ने मिलकर नेहरू युग के तीन स्तंभों, लाइसेंस राज, सार्वजनिक क्षेत्र का एकाधिकार और विश्व बाज़ार से भारत के अलगाव को समाप्त कर दियाजैसे ही मनमोहन सिंह ने अपना भाषण समाप्त किया दर्शक दीर्घा में बैठे बिमल जालान ने जयराम रमेश की आँखों में आँखें मिलाकर थम्स अप का इशारा किया

1991 में अपनाई गई नई आर्थिक नीति ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर हावी रहे लाइसेंस और परमिट के विशाल नेटवर्क का ख़ात्मा कर दिया इससे बाज़ार में नए प्लेयर्स के आने का रास्ता साफ़ हो गया और पहले से अधिक प्रतिस्पर्धी माहौल की शुरुआत हुई

दूसरा महत्वपूर्ण बदलाव राज्य और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के प्रति मौजूद भारी पूर्वाग्रहों से दूर जाना था वास्तव में राज्य के लिए विशेष रूप से आरक्षित कई क्षेत्रों को निजी उद्यमों के लिए खोल दिया गया था

 तीसरा जो बेहद महत्वपूर्ण है उसका संबंध विदेश व्यापार से है इसमें आयात नीति को और उदार बनाया गया, आयात प्रतिस्थापन की नीति बदली गई

हम एक ऐसे स्थिति में पहुंच गए थे जहां हमारे पास केवल तीन हफ़्ते आयात करने जितना विदेशी मुद्रा भंडार उपलब्ध था सामने विदेशी कर्ज़ के भुगतान में चूक होने की पूरी संभावना दिख रही थी


 

 


सोमवार, 19 जुलाई 2021

नक्सल कमांडर रमन्ना के बेटे रंजीत उर्फ श्रीकांत ने तेलंगाना के डीजीपी एम महेंद्र रेड्डी के समक्ष हैदराबाद में आत्मसमर्पण कर दिया । रंजीत के आत्मसमर्पण के बाद दंतेवाड़ा में लोन वर्राटू अभियान के तहत 3 महिलाओं सहित 11 नक्सलियों नेआत्मसमर्पण



तेलंगानाओडिशा और छत्तीसगढ़ की सरकारों ने जिसे लगभग 2.40 करोड़ रुपए का इनाम घोषित नक्सल कमांडर रावुलु श्रीनिवास उर्फ रमन्ना के बेटे रावुलु रंजीत उर्फ श्रीकांत ने तेलंगाना के डीजीपी एम महेंद्र रेड्डी के समक्ष हैदराबाद में आत्मसमर्पण कर दिया। रावुलु रंजीत के सरेंडर से दण्डकारण्य खास तौर से बस्तर में नक्सल आंदोलन को बड़ा झटका लगा है। रंजीत ने आने वाली नई पीढ़ी को हिंसा का रास्ता छोड़कर नई जीवन में जीने की राह दिखाया है इसका परिणाम यह हुआ है कि  दंतेवाड़ा में लोन वर्राटू अभियान के तहत 3 महिलाओं सहित 11 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें से एक महिला नक्सली के ऊपर 1 लाख रुपए का इनाम भी घोषित है। एक साथ इतनी संख्या में नक्सलियों के आत्मसमर्पण करने को दंतेवाड़ा SP डॉ अभिषेक पल्लव ने अपनी छत्तीसगढ़ पुलिस की बड़ी कामयाबी मान रहे हैं। रंजीत का पिता रमन्ना नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी का सदस्य था। वह रंजीत उर्फ श्रीकांत छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की राज्य इकाई दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) का सचिव भी था। इसका मुख्य कारण यह है कोरोना...... रंजीत ने कोरोना के कारण बहुत से नक्सलियों के मौत के बार आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर हुआ है। 



छत्तीसगढ़ के बस्तर में रमन्ना नक्सलियों का सुप्रीम कमांडर था। उसके बिना बस्तर में पत्ता भी नहीं हिलता था। 9 दिसम्बर 2019  में सुकमा के जंगलों में हार्ट अटैक से उसकी मौत हुई थी। रंजीत की मां माड़वी सावित्री डिवीजनल कमेटी की सदस्य है व किस्टारम एरिया कमेटी में अब भी सक्रिय है। माता पिता दोनों राज्य के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष की वजह से जीवन भर भूमिगत रहे। इसी दौरान 1998 में दण्डकारण्य के जंगल में रंजीत का जन्म हुआ। रंजीत ने बचपन से यही जाना है कि सत्ता बंदूक की नली से आती है। वास्तव में पश्चिम बंगाल के दार्जिलिग जिले के नक्सलबाड़ी नाम के गाँव में 25 मई 1967 को सशस्त्र क्रांति हुई। जिसका नेतृत्व कान्यु सान्याल और चारू मजुमदार ने किया था। नक्सलबाड़ी के नाम से नक्सलवाद शुरू हुआकुछ ही समय में यह आन्दोलन वैचारिक जन आन्दोलन का रूप ले लिया। सशस्त्र क्रांति के रास्ते पर चलते हुये पड़ोसी देश चीन के माओवादी सिद्धांत से प्रेरित होकर चलने लगा। नक्सलवादियों का मानना है कि राजनीतक सत्ता बन्दूक की नली से मिलती है। ऐसे विचारधारा के लोग चीन के नेता माओ सेतुंग से प्रभावित होकर भारत में सशस्त्र क्रांति से राजनीतिक सत्ता प्राप्त करना चाहते है और यही लोग माओवाद के नाम से भारत में पहली बार हथियारबंद आंदोलन चलाने वाले नक्सली कहलाने लगे। जो बंदूक के दम से चीन के बाद पश्चिम बंगाल में सत्ता का परिवर्तन किया। इस प्रयास में नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग पिछले 40 वर्षो से आतंक का खुनी खेल खेल रहे है।

रंजीत उर्फ श्रीकांत की प्रारंभिक शिक्षा नक्सलियों के जनताना सरकार की ओर से पट्टापाढू या पुट्टम गांव में संचालित स्कूल में हुई। वहां उसे नवजनवादी क्रांतिहथियार चलाने की ट्रेनिंग दी गई। छठवीं तक पढ़ाई करने के बाद रमन्ना ने उसका एडमिशन निजामाबाद के काकतीय स्कूल में आर श्रीकांतपिता श्रीनू के नाम से करवा दिया। यहां उसने दसवीं तक पढ़ाई की। दसवीं की पढ़ाई पूरी कर 2015 में वह गुरिल्ला आर्मी का सदस्य बना। इसके बाद रमन्ना ने यह सोचकर आगे पढ़ाई के लिए रंजीत को बाहर नहीं भेजा कि पुलिस को भनक लग सकती है। 2015 से 2017 तक रंजीत बस्तर के जंगलों में आदिवासियों को नए प्रजातांत्रिक अधिकारों की शिक्षा देता रहा। इसके बाद उसने नक्सलियों की बटालियन ज्वाइन कर ली। नवंबर 2019 में वह प्रमोट होकर प्लाटून पार्टी कमेटी का सदस्य बन गया।

रंजीत 2018 में किस्टारम ब्लास्ट की घटना में शामिल था। इसमें सीआरपीएफ के नौ सिपाही शहीद हुए थे। 2020 में रंजीत के नेतृत्व में एर्राम में नक्सलियों ने एंबुश लगाया था लेकिन एक नक्सली मारा गया था। मार्च 2020 में मिनपा मुठभेड़ में वह शामिल था। इस घटना में 23 जवान व तीन नक्सली मारे गए थे। नक्सली 12 एके 47 व दो इंसास रायफल भी लूट ले गए थे। उसने तिम्मापुर में भी एंबुश लगाया था पर फोर्स नहीं फंसी।

तेलंगाना पुलिस को दिए बयान में रंजीत ने बताया कि पिता रमन्ना की मौत के बाद पार्टी में उसे सिर्फ अपमान मिला। उसने बताया कि उसके पिता रमन्ना की मौत के बाद  दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी डीकेजेडएससी की कमान कट्टा रामचन्द्र रेड्डी उर्फ राजू दादा उर्फ विकल्प ने सम्हाल ली है। दूसरी बड़ी बात यह कि छत्तीसगढ़ में कोरोना का कहर दर्जनों नक्सलियों पर भी टूटा है। सूत्रों से मिली जानकारी से प्रदेश में दो दर्जन से ज्यादा नक्सलियों की संक्रमण के चलते मौत हो चुकी है। सभी बड़े कमांडर कोरोना संक्रमण हो चुके है कुछ की मौत हुई तथा बहुत कमजोर हो चुके है। मई और जून महीनों में सिलगेर कैम्प के विरोध में ग्रामीणों को आगे कर नक्सलियों ने आन्दोलन चलाया उसके कारण भी बस्तर में कोरोना से कई नक्सली कमांडर की मौत तथा अन्य निर्दोष ग्रामीणों की मौत हो रही है।  

छत्तीसगढ़ के बस्तर पुलिस को अंदेशा है कि खूंखार नक्सली कमांडर हिडमा भी संक्रमण की चपेट में है। खूंखार माओवादी हिड़मा समेत सुजाता और विकास भी कोरोना संक्रमित हैं। ये तीनों दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के मेंबर हैं। इन तीनों पर 25-25 लाख रुपए का इनाम भी घोषित है। इसके अलावा बस्तर व तेलंगाना इलाके में तांडव मचाने वाले जयलालदिनेशदेवाविनोद ,राजेशआकाशसोनीक्रांतिजयमनसोनूनंदू ये सभी बीमार हैं। इनमें कई 8 लाख व 10 लाख रुपए के इनामी भी शामिल हैं।

छत्तीसगढ़ का शीर्ष नक्सल कमांडर यापा नारायण उर्फ हरिभूषण की मौत सोमवार रात दक्षिण बीजापुर-सुकमा अंतर्जिला सीमा क्षेत्र में कोरोना से हो गई। 52 वर्षीय हरिभूषण नाम से मशहूर यापा नारायण तेलंगाना राज्य समिति का सचिव भी था। पुलिस का दावा है कि रमणगंगा और शोभरोई नक्सलियों की भी मौत कोरोना संक्रमण से ही हुई है। झीरम घाटी नक्सली हमले के मास्टरमाइंड नक्सली कमांडर विनोद की कोरोना से मौत हो गई है। कोत्तागुड़म पुलिस तक विनोद के मौत की पुख़्ता जानकारी पहुंची है। उस पर 25 लाख रुपए से अधिक का इनाम घोषित था। सुकमा-बीजापुर बॉर्डर इलाके के जंगल में मौत होने की खबर है। 2013 में कांग्रेसी नेताओं के काफ़िले पर नक्सली हमले का मास्टर माइंड था। 25 मई 2013 के दिन कांग्रेस पार्टी ने सुकमा में परिवर्तन रैली आयोजित किया था। इसमें रैली में कांग्रेस पार्टी के सभी बड़े नेता शामिल हुए थे। रैली खत्म होने के बाद सुकमा से जगदलपुर आते समय झीरम घाटी में घात लगाकर नक्सलियों ने हमला किया था। जिसमे बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा, नंदकुमार पटेल, दिनेश पटेल,  उदय मुदलियार, और विद्धाचरण शुक्ला की हत्या कर दिया गया था। जिसमें कांग्रेस नेताओं समेत 31 लोगों की मौत हुई थी। 

27 मई को तेलंगाना के कोत्तागुड़म जिले में अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमित नक्सली कमांडर कोरसा गंगा उर्फ आयतु की मौत हो गई थी। पुलिस का दावा है कि कोरोना संक्रमण से उसकी मौत हुई है। जिसे छत्तीसगढ़ के प्रशासन ने उसके शव को उसके गाँव में लाकर शिनाख कराया तथा कोरोना गाइड लाईन के अनुसार संस्कार किया गया। जून को हैदराबाद में नक्सलियों के कम्युनिकेशन टीम के चीफ गद्दाम मधुकर उर्फ सोबराय की इलाज के दौरान मौत हो गई थी।

13 जून को नक्सली नेता कट्टी मोहन राव उर्फ दामू दादा की मौत हो गई। सूत्रों के अनुसार नक्सली मोहन राव कोरोना से संक्रमित था। वहीं नक्सलियों ने मोहन की मौत की वजह हार्ट अटैक बताई है। एक के बाद एक बड़े कैडर के नक्सली नेता कोरोना से ढेर हो रहे हैं। हरिभूषण के बाद अब उसकी पत्नी शारदा की भी कोरोना से मौत हो गई है। नक्सलियों के चेरला एरिया कमेटी की सचिव शारदा लंबे समय से कोरोना से जूझ रही थी। बीमारी के चलते 24 जून को शारदा की मौत हो गई है। इस पर 10 लाख रुपए का इनाम भी घोषित था। शारदा कई बड़ी नक्सल घटनाओं में भी शामिल रही है। तेलंगाना और छत्तीसगढ़ राज्य के सीमावर्ती इलाके में यह जम कर तांडव मचाया करती थी। तेलंगाना व छत्तीसगढ़ के जंगल में कई नक्सली नेता बीमारी से तड़प रहे हैं।नक्सली कमांडर कट्टी मोहन राव उर्फ दामू दादा व उसकी पत्नी भारतक्का की भी कोरोना से मौत हो गई है। कट्टी मोहन राव कोरोनाबीपी व शुगर की बीमारी से जूझ रहा था। 10 जून की सुबह हार्ट अटैक से इसकी मौत हो गई थी। कट्टी की मौत के ठीक 12 दिन बाद 22 जून की सुबह इसकी पत्नी भारतक्का ने भी कोरोना से दम तोड़ दिया। ये दोनों नक्सली दंपती भी कई बड़ी नक्सल घटनाओं में शामिल थे। वहीं हार्डकोर इनामी नक्सली शारदा की मौत की पुष्टि कोत्तागुडम एसपी सुनील दत्त व दंतेवाड़ा एसपी अभिषेक पल्लव ने की है।

बस्तर पुलिस ने नक्सलियों से सरेंडर की अपील किये है और बस्तर में प्रशासन पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि  किसी भी हालत में नक्सलियों को दवा और खाद्य की सप्लाई नहीं की जाएगी। लेकिन नक्सल विचारधारा को छोड़, नक्सली अगर मुख्यधारा से जुड़ने का फैसला करते हैं, तो प्रशासन उनका इलाज कराएगा। इसके अलावा पुनर्वास नीति का भी उन्हें लाभ दिलाया जाएगा। एसपी अभिषेक पल्लव ने कहा कि लोन वर्राटू अभियान के तहत नक्सली समर्पण करें।

 

झीरम घाटी, छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व पर नक्सली हमला


 छत्तीसगढ़ का 'टाइगर ब्वाय' नाम चेंदरू - “ द बॉय एंड द टाइगर ”

दामोदर गणेश बापट जी को कुष्ठ रोगियों के निस्वार्थ, सेवा भाव और समर्पण को देखते हुए भारत सरकार ने 2018 में पद्मश्री से सम्मानित किया

रायपुर स्काईवॉक प्रोजेक्ट पूरा होने में 80 करोड़, तोड़ने में 8 करोड़

 

 

 

रविवार, 11 जुलाई 2021

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने राष्ट्र विरोधी मामले में शामिल 11 कर्मचारी को बर्खास्त | पाकिस्तानी आतंकी सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटों सैयद अहमद शकील और शाहिद यूसुफ को भी नौकरी से बर्खास्त

 


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अगस्त 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बड़ी कार्यवाही करते हुए, 11 सरकारी कर्मचारियों को "राष्ट्र-विरोधी" और "आतंकवाद से संबंधित" गतिविधियों में कथित संलिप्तता के कारण बर्खास्त कर दिया। बर्खास्त कर्मचारियों में चरमपंथी हिजबुल मुजाहिदीन के संस्थापक सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटे भी शामिल हैं।  भारत के संविधान के अनुच्छेद 311 (2) (सी) के तहत मामलों की जांच और सिफारिश करने के लिए जम्मू और कश्मीर में नामित समिति ने सरकारी सेवा से बर्खास्तगी के लिए कुल 11 मामलों की सिफारिश की। कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35-ए को खत्म किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन की सबसे बड़ी कार्यवाही किया है ऐसी कार्यवाही अबतक नहीं हुआ था। 

19 जनवरी 1990 का दिन भारत के इतिहास का एक ऐसा काला दिन हैजिसको याद करके से ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं जब भारत के कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में मस्जिदों में ऐलान हुआ था कि मस्जिदों और चौराहों पर लाउडस्पीकर के द्वारा अनाउंस किया गया कि पंडित लोग यहां से चले जाए नहीं तो बुरा होगा। उसके बाद लाखों कश्मीरी पंडितों को देश का स्वर्ग कहे जाने वाला कश्मीर छोड़ना पड़ा था जब संविधान भी था अदालत भी कानून भी पुलिस भी सेना भी लेकिन राजनेताओं के पास इच्छा शक्ति की कमी ही थी  इसके बाद से ही कश्मीर में लोग हत्या और रेप जैसी घटनाओं को अंजाम देने लगे  उसके बाद से आज तक कश्मीर में अशांति के बादल छाये हुए था लेकिन 2014 में भाजपा की मोदी सरकार आने के बाद धीरे धीरे परिस्थिती बदलने लगी 5 अगस्त 2019 के बाद अनुछेद 370 व 35 ए हटने के बाद आंतकियो संगठनों का सफाया हो चूका है अब सरकार उन लोगों पर ध्यान दे रही है जो लोग इनकी मदद करते थे खास तौर से इन आंतकियो की मदद करते थे 

तीन अधिकारियों को बर्खास्त करने की सिफारिश आईटीआई, कुपवाड़ा के एक अर्दली से संबंधित थी, जो आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का ओवर ग्राउंड वर्कर था। कथित तौर पर, वह आतंकवादियों को सुरक्षा बलों की आवाजाही के बारे में जानकारी प्रदान कर रहा था, आतंकवादियों को गुप्त तरीके से गतिविधियों को अंजाम देने के लिए उकसा रहा था और उन्हें पनाह दे रहा था।

 

अन्य दो अनंतनाग जिले के शिक्षक थे। सरकारी सूत्रों ने कहा कि वे जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) और दुख्तारन-ए-मिल्लत (डीईएम) की अलगाववादी विचारधारा में भाग लेने, समर्थन करने और प्रचार करने सहित "राष्ट्र-विरोधी" गतिविधियों में शामिल पाए गए।समिति की दूसरी बैठक में बर्खास्त करने के लिए अनुशंसित अन्य आठ सरकारी कर्मचारियों में जम्मू कश्मीर पुलिस के दो कांस्टेबल शामिल हैं जिन्होंने पुलिस विभाग के भीतर से आतंकवाद का समर्थन किया है और आतंकवादियों को आंतरिक जानकारी के साथ-साथ रसद सहायता भी प्रदान की है।


रिपोर्ट में कहा गया है कि एक कांस्टेबल अब्दुल राशिद शिगन ने खुद सुरक्षा बलों पर हमले किए हैं। सरकारी सूत्रों ने यह भी पुष्टि की कि हिजबुल मुजाहिदीन के संस्थापक सैयद सलाहुद्दीन के बेटों को भी सरकारी सेवा से हटा दिया गया था। सैयद अहमद शकील और शाहिद यूसुफ भी आतंकी फंडिंग में शामिल थे। एनआईए ने उन दोनों व्यक्तियों के आतंकी फंडिंग ट्रेल्स को ट्रैक किया है, जो हिजबुल मुजाहिदीन की आतंकी गतिविधियों के लिए हवाला लेनदेन के माध्यम से धन जुटाने, प्राप्त करने, एकत्र करने और स्थानांतरित करने में शामिल पाए गए हैं।

 

आतंकी लिंक वाले एक अन्य सरकारी कर्मचारी नाज़ मोहम्मद अली हैं, जो स्वास्थ्य विभाग के एक अर्दली हैं। वह एचएम का ओवर ग्राउंड वर्कर है और उसका आतंकवादी गतिविधियों में सीधे तौर पर शामिल होने का इतिहास रहा है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि दो खूंखार आतंकवादियों को उनके आवास पर पनाह दी गई थी। शिक्षा विभाग के दो कर्मचारियों को भी बर्खास्त कर दिया गया है। सूत्रों ने कहा कि जब्बार अहमद परे और निसार अहमद तांत्रे पाकिस्तान के प्रायोजकों द्वारा फैलाए गए अलगाववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने में सक्रिय रूप से शामिल थे और जमात-ए-इस्लामी विचारक हैं।

 

बिजली विभाग के एक निरीक्षक शाहीन अहमद लोन को हिजबुल मुजाहिदीन के लिए हथियारों की तस्करी और परिवहन में शामिल पाया गया है। वह पिछले साल जनवरी में श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर दो आतंकवादियों के साथ हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक ले जाते हुए पाया गया था।बर्खास्त किए गए 11 कर्मचारियों में से 4 अनंतनाग के, 3 बडगाम के, 1-1 बारामूला, श्रीनगर, पुलवामा और कुपवाड़ा के हैं।इनमें से 4 शिक्षा विभाग में, 2 जम्मू कश्मीर पुलिस में और 1 कृषि, कौशल विकास, बिजली, एसकेआईएमएस और स्वास्थ्य विभागों में कार्यरत थे।


अलगाववादियो को साथ देने वालों सरकारी कर्मचारियों को कठोर सन्देश